फिल्म समीक्षा : मुबारकां
फिल्म रिव्यू मजेदार मनोरंजक फिल्म मुबारकां -अजय ब्रह्मात्मज पिछले कुछ सालों में कॉमेडी ने डबल मीनिंग डॉयलॉग,यौनाचार की मुद्राओं और देहदर्शन का रूप ले लिया है। निर्माता सेक्स कॉमेडी की हद तक गए,जिन्हें दर्शकों ने ही दरकिनार कर दिया। गोविंदा की लोकप्रियता के दिनों में ऐसी फिल्मों का एक दौर था, जब डेविड धवन,अनीस बज्मी और रुमी जाफरी ने मिलकर दर्शकों को खूब हंसाया। उनकी फिल्में शुद्ध हास्य को लकर चलती थीं और स्थानों,स्थितियों और किरदारों की दिलचस्प भिड़तों से हंसी के फववारे छोड़ती थीं। दर्शक भी भगते और लोटपोट होते रहते थे। फिर एक ऐसा दौर आया कि इनकी ही फिल्मों में द्विअर्थी संवाद घुस आए और संकेतों में सेक्स की बातें होने लगीं। और लोकप्रियता की लकीर पर चलते हुए कुछ निर्माता-निर्देशक सेक्स कॉमेडी की गलियों में भटक गए। एक अंतराल के बाद अनीस बज्मी की वापसी हुई है। वे नानसेंस ड्रामा लेकर आए हैं,जिसमें हास्यास्पद स्थितियां बनती हैं और हम फिर से ठहाके लगाते हैं। हिंदी फिल्मों की यह लोकप्रिय मनोरंजक धारा सूख सी गई थी। अनीस बज्मी ने अपने पुराने दोसत और भरोसेम