खप जाती है एक पीढ़ी तब मिलती है कामयाबी
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री समेत हर इंडस्ट्री और क्षेत्र में ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे। हजारों- लाखों उदाहरण हैं। एक पीढ़ी के खपने और होम होने के बाद ही अगली पीढ़ी कामयाब हो पाई। आजकल मनोवैज्ञानिक और अन्य सभी कहते हैं कि बच्चों पर अपनी इच्छाओं और सपनों का बोझ नहीं लादना चाहिए। लेकिन हम अपने आसपास ऐसे अनेक व्यक्तियों को देख सकते हैं, जिन्होंने अपने माता या पिता के सपनों को साकार किया। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ऐसे कई उदाहरण हैं। हाल ही में 'हाल-ए-दिल' के म्यूजिक रिलीज के समय फिल्म के निर्माता कुमार मंगत मंच पर आए। उन्होंने कहा कि मैं कुछ भी बोलने से घबराता हूं। लेकिन आज मैं खुद को रोक नहीं पा रहा हूं। आज मैं अवश्य बोलूंगा। उन्होंने समय और तारीख का उल्लेख करते हुए बताया कि 1973 में मैं आंखों से सपने लिए मुंबई आया था। इतने सालों के बाद मेरा वह सपना पूरा हो रहा है। मेरी बेटी अमिता पाठक फिल्मों में हीरोइन बन कर आ रही है। अमिता पाठक के पिता कुमार मंगत हैं। लंबे समय तक वे अजय देवगन के मैनेजर रहे। इन दिनों वे बिग स्क्रीन एंटरटेनमेंट के मालिक हैं और कई फिल्मों का निर्माण कर रहे हैं। ...