Posts

Showing posts with the label लगान

हंगल की स्‍मृति में

Image
मैं अपनी अनूदित पुस्‍तक सत्‍यजित भटकल लिखित ऐसे बनी लगान से एके हंगल से संबंधित अंश यहां दे रहा हूं। ए के हंगल की स्‍मृति को समर्पित यह अंश प्रेरक है....  24 जनवरी 2000  हंगल डॉ राव के अस्‍पताल में विश्राम कर रहे हैं।डाम्‍क्‍टर दंपति ज्ञानेश्‍वर और अलका परिवार के किसी सदस्‍य की तरह ही उनकी देखभाल करते हैं।पिछले दो सालों में हंगल ने पत्‍नी और बहू को खो दिया हैत्रवह उनके प्रेम और स्‍नेह सेप्रभावित हैंत्रआज शाम 'लगान' के कई लोग डॉ राव के अस्‍पताल जाते हैं और हंगल की सेहतमंदी के लिए गीत गाते हैंत्रअस्‍पताल के बाहर आधा भुज जमा हो जाता है।हंगल बिस्‍तर पर पीठ के बल लेटे हैं। उनकी तकलीफ कम नहीं हुई है,लेकिन व‍ि द्रवित हो उठते हैं।  आमिर और आशुतोष महसूस करते हैं कि हंगल शूटिंग करने की अवस्‍था में नहीं हैं,वे दूसरे उपाय सोचते हैं। आमिर हंगल से कहता है कि वे वैकल्पिक व्‍यवस्‍था करेंगे,लेकिन वह बीमार एक्‍टर के जवाब से चौंक जाता है।हंगल उससे कहते हैं कि अगर प्रोडक्‍शन एंबुलेंस से उन्‍हें सेट पर ले जाए तो वे शूटिंग करेंगे। आमिर उनसे गुजारिश करता है कि उनकी पीठ फिल्‍म से अधिक महत्

ऐसे बनी लगान

Image
15 जून 2011 को लगान रिलीज हुई थी। दस साल हो गए। कुछ जानकारियां.... * आशुतोष गोवारीकर ने लगान की कहानी मित्र आमिर खान को सुनाई। कोई निर्माता इसमें पैसा लगाने को तैयार नहीं था। इसी फिल्म के साथ आमिर खान की निर्माता न बनने की सौगंध टूट गई। * लगान के संवाद अवधी में रखने का सुझाव साहित्यकार केपी सक्सेना का था, जिनका चुनाव आशुतोष गोवारीकर ने संवाद लेखन के लिए किया था। आमिर खान इस बोली में पारंगत नहीं थे। आमिर ने योजना बनाई कि लगान की शूटिंग आरंभ होने से तीन माह पूर्व वे उत्तर प्रदेश के किसी अवधी भाषी क्षेत्र में रहेंगे, लेकिन निर्माता की जिम्मेदारियों से उन्हें फुरसत नहीं मिली। बाद में जावेद अख्तर के सुझाव पर आमिर खान ने लखनऊ के अभिनेता लेखक राजा अवस्थी को अवधी सिखाने के लिए भुज बुलाया। * लगान की नायिका गौरी की भूमिका के लिए नम्रता शिरोडकर, अमीषा पटेल, नंदिता दास सहित कई अभिनेत्रियों का ऑडिशन हुआ, लेकिन अंत में इस भूमिका के लिए नई अभिनेत्री ग्रेसी सिंह का चुनाव किया गया। * कच्छ में स्थानीय लोगों की सहायता से लगान के चंपानेर गांव का सेट बनाया जा सका। शूटिंग खत्म होने के बाद गांव वालों

'लगान' से बढ़ी प्रयोग की हिम्‍मत-आमिर खान

Image
-अजय ब्रह्मात्‍मज बतौर एक्टर मैं अपनी हर फिल्म को सौ फीसदी अहमियत देता हूं। इसके बावजूद लगान मेरे लिए खास और अहम फिल्म है। यह मेरे होम प्रोडक्शन की पहली फिल्म है। मैंने पिता और चाचा को करीब से देखा था। फिल्म निर्माण के नुकसान से परिवार की मुश्किलों को मैं समझता था। मैंने तय कर रखा था कि मुझे कभी निर्माता नहीं बनना है। अपने पुराने इंटरव्यू में मैंने साफ कहा था कि मैं कभी निर्माता नहीं बनूंगा, लेकिन लगान की स्क्रिप्ट ने मुझे निर्माता बनने पर विवश कर दिया। आशुतोष गोवारीकर ने मुझे एक्टर के तौर पर यह कहानी सुनाई थी। मुझे स्क्रिप्ट बहुत पसंद आई। मैंने आशु को सलाह दी कि तू मेरा नाम लिए बगैर निर्माताओं को स्क्रिप्ट सुना। अगर किसी को स्क्रिप्ट पसंद आए तो ही बताना कि इसमें आमिर है। फिल्म इंडस्ट्री के माइंडसेट को मैं अच्छी तरह समझता था। आशुतोष का कॅरियर दो फ्लाप फिल्मों का था। मुझे भी डर था कि निर्माता उस पर बेवजह दबाव डाल सकते हैं। मुझे स्क्रिप्ट इतनी पसंद थी कि मैं उसमें किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं चाहता था। प्रोड्यूसर न मिलने पर मैंने उसकी भूमिका निभा ली। लगान के लिए हां कहने में पुरानी पीढ़ी