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हंसी और हिंसा के दौर में हिस्ट्री

हिंदी फिल्मों में हंसी और हिंसा का पॉपुलर दौर चल रहा है। कॉमेडी और वॉयलेंस की फिल्मों ने लव स्टोरी को भी पीछे छोड़ दिया है। जिसे देखो वही हंसने-हंसाने की तैयारी में लगा है या फिर मरने-मारने पर उतारू है। चूंकि ऐसी फिल्मों को दर्शक भी मिल रहे हैं, इसलिए माना जा रहा है कि दर्शक भी लव स्टोरी और सोशल फिल्मों से उकता गए हैं, इसलिए वे सिर्फ कॉमेडी और ऐक्शन में इंटरेस्ट दिखा रहे हैं। दर्शकों की बदलती रुचि के बावजूद संजय लीला भंसाली और आशुतोष गोवारीकर जैसे डायरेक्टर चालू ट्रेंड से अलग फिल्में बनाने की हिम्मत कर रहे हैं। संजय लीला भंसाली की गुजारिश एक लव स्टोरी ही है, लेकिन इस फिल्म की प्रस्तुति हिंदी फिल्मों में प्रचलित हो रही नए किस्म की इमोशनलेस लव स्टोरी से भिन्न है। इसी प्रकार आशुतोष गोवारीकर की फिल्म खेलें हम जी जान से नाम, विषय और लुक के लिहाज से आज के पॉपुलर ट्रेंड की फिल्म नहीं है। यह 1930 में चट्टोग्राम (चिटगांव) में हुए विद्रोह की कहानी है, जिसे सूर्य सेन और कल्पना दत्ता ने लीड किया था। अफसोस की बात है कि आजादी के संघर्ष इतिहास में हम सूर्य सेन के योगदान के बारे में अधिक नहीं जानते। आ