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Showing posts from 2019

सिनेमालोक : विदा 2019

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सिनेमालोक विदा 2019 अजय ब्रह्मात्मज 2019 का आखिरी दिन है आज. पिछले हफ्ते रिलीज हुई राज मेहता की फिल्म ‘गुड न्यूज़’ हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को कामयाबी का शुभ समाचार दे गई. अक्षय कुमार. करीना कपूर खान. दिलजीत दोसांझ और कियारा आडवाणी की यह फिल्म पहले वीकेंड में 60 करोड़ से अधिक का कलेक्शन कर चुकी है. जाहिर सी बात है कि अक्षय कुमार की फिल्म 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर जाएगी.’केसरी’, ‘मिशन मंगल’. ‘हाउसफुल 4’ और ‘गुड न्यूज़’ की भरपूर कमाई से अक्षय कुमार सफल सितारों की अगली कतार में सबसे आगे खड़े हैं. उन्हें रितिक रोशन की वाजिब मुकाबला दे रहे हैं. ‘सुपर 30’ और ‘वॉर’ की कामयाबी ने उन्हें अगली कतार में ला दिया है. कुछ और सितारे भी जगमगाते रहे कुछ की चमक बढ़ी और कुछ की धीमी पड़ी. बकामयाबी के दूसरे छोर पर आयुष्मान खुराना भी तीन फिल्मों की सफलता के साथ मुस्कुरा रहे हैं. इन दोनों छोरों के बीच कार्तिक आर्यन हैं, जो धीमे से अपनी धमक बढ़ाने में आगे रहे. कामयाब रणवीर सिंह भी रहे. अभिनेत्रियों की बात करें तो तापसी पन्नू और भूमि पेडणेकर के लिए 2019 विविधता लेकर आया. दोनों अभिनेत्रियों ने बढ़त हास

सिनेमालोक : फाल्के पुरस्कार और अमिताभ बच्चन

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सिनेमालोक फाल्के पुरस्कार और अमिताभ बच्चन -अजय ब्रह्मात्मज कल दिल्ली में 2018 के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार वितरित किए गए. विभिन्न श्रेणियों में देश की सभी भाषाओं की प्रतिभाओं को सम्मानित करने का यह समारोह पुरस्कार प्रतिष्ठा और प्रभाव के लिहाज से देश में सर्वश्रेष्ठ है. इन दिनों अनेक मीडिया घरानों और संस्थानों द्वारा हिंदी समेत तमाम भाषाओं में फिल्म पुरस्कार दिए जा रहे हैं. इन पुरस्कारों की भीड़ में यह अकेला अखिल भारतीय फिल्म पुरस्कार है, जिसमें देश की सभी भाषाओं के बीच से प्रतिभाएं चुनी जाती हैं. निश्चित ही इस पुरस्कार का विशेष महत्व है. फीचरफिल्म, गैरफीचर फिल्म और फिल्म लेखन की तीन मुख्य श्रेणियों में ये पुरस्कार दिए जाते हैं. राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के साथ ही दादा साहेब फाल्के पुरस्कार भी दिया जाता है. यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा के विकास और संवर्धन में अप्रतिम योगदान के लिए किसी एक फिल्मी व्यक्तित्व को सौंपा जाता है. इस साल यह पुरस्कार अमिताभ बच्चन को दिया गया है पुरस्कार की पूर्व संध्या को अमिताभ बच्चन ने ट्वीट कर अपने प्रशंसकों को सूचना दी... वह बुखार में हैं. उन्हें यात्

सिनेमालोक : कार्तिक आर्यन की बढ़ी लोकप्रियता

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सिनेमालोक कार्तिक आर्यन की बढ़ी लोकप्रियता -अजय ब्रह्मात्मज मुदस्सर अजीज की ‘पति पत्नी और वो’ अभी तक सिनेमाघरों में चल रही है। इस फिल्म की कामयाबी से कार्तिक आर्यन की लोकप्रियता में बढ़ोतरी हुई है। ट्रेड पंडितों की राय में कार्तिक आर्यन भरोसेमंद युवा स्टार के तौर पर उभरे हैं। उनकी लोकप्रियता नई पीढ़ी के दूसरे अभिनेताओं से अलग और विशेष है। पिछले दो-तीन सालों में कार्तिक आर्यन, राजकुमार राव, आयुष्मान खुराना और विकी कौशल ने अपनी फिल्मों से दमदार दस्तक दी है। इन चारों में कार्तिक आर्यन को शेष तीन की तरह विषय प्रधान फिल्में नहीं मिलीं। बतौर एक्टर उन्हें बड़ी सराहना भी नहीं मिली, बल्कि कुछ समीक्षकों की राय में कार्तिक आर्यन को अभी समर्थ अभिनेता की पहचान बनाने में थोड़ा वक्त और लगेगा। समीक्षकों की उपेक्षा और आलोचना के बीच कार्तिक आर्यन ने दर्शकों के बीच लोकप्रियता हासिल की। फिल्म दर फिल्म उनकी स्थिति मजबूत होती गई है। इम्तियाज अली की उनकी फिल्म पूरी हो चुकी है, जो अगले साल फरवरी में रिलीज होगी। कार्तिक आर्यन 2011 शुरुआत की। ‘प्यार का पंचनामा’ उनकी पहली फिल्म थी। इस फिल्म के बाद उ

सिनेमालोक : हिंदी फिल्मों में पंजाबी गाने

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सिनेमालोक हिंदी फिल्मों में पंजाबी गाने -अजय ब्रह्मात्मज फिल्मों की कहानियां हिंदी प्रदेशों में जा रही हैं. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड और बिहार के साथ ही उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की कहानियां हिंदी फिल्मों में आने लगी हैं. हिंदी फिल्मों का यह शिफ्ट नया और सराहनीय है. लंबे समय तक हिंदी फिल्मों ने पंजाब की सैर की. पंजाब आज भी हिंदी फिल्मों में आ रहा है, लेकिन अब वह यश चोपड़ा वाला पंजाब नहीं रह गया है. युवा फिल्मकार किसी फिल्म में उनसे आगे तो किसी फिल्म में उनसे पीछे दिखाई पड़ते हैं. सच्ची और सामाजिक कहानियां भी बीच-बीच में आ जाती हैं. गौर करें तो हिंदी फिल्मों में पंजाब का प्रभाव रच-बस गया है. फिल्म कलाकार पंजाब से आते हैं. फिल्मों के किरदारों के सरनेम पंजाबी होते हैं. पंजाबी रीति-रिवाज और संगीत भी हिंदी फिल्मों में पसर चुका है. किसी समय यह नवीनता बड़ा आकर्षण थी. अब इसकी अधिकता विकर्षण पैदा कर रही है. हिंदी प्रदेशों की कहानियों में जब अचानक पंजाबी बोल के गाने सुनाई पड़ते हैं तो खटका लगता है. कई फिल्मों में खांटी पटना, लखनऊ, कानपुर, भोपाल और इलाहाबाद के किरदार पंजाबी

सिनेमालोक : सेंसर नहीं होगी वेब सीरीज

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                                                                                                            सिनेमालोक सेंसर नहीं होगी वेब सीरीज -अजय ब्रह्मात्मज ऑनलाइन स्ट्रीमिंग की तकनीक के प्रसार और ओटीटी प्लेटफॉर्म के पॉपुलर होने के साथ नैतिकता, राष्ट्रीयता और शुद्धता के पहरुए जाग गए हैं. लगातार सरकार पर दबाव डाला जा रहा है कि वेब सीरीज और दूसरे मनोरंजक स्ट्रीमिंग कंटेंट की निगरानी की जाए. उनका आग्रह है कि वेब सीरीज में गाली-गलौज और अश्लीलता बढ़ती जा रही है. राष्ट्रीय हितों का ख्याल नहीं रखा जा रहा है. दक्षिणपंथी सोच के स्तंभकार और लेखक-पत्रकार चाहते हैं कि वेब सीरीज को भी सेंसरशिप के घेरे में लाया जाए. उनकी आपत्ति है कि कई बार इन वेब सीरीज में राष्ट्र विरोधी बातें होती है. उनकी बातों का विश्लेषण करें तो पाएंगे कि वे सत्ताधारी पार्टी की सोच की विरोधी टिप्पणी और विचार पर पाबंदी चाहते हैं. वे नहीं चाहते कि सरकार विरोधी बातों पर आधारित संवाद हो. मामला कोर्ट में भी गया है. कोर्ट ने भी पाबंदी या सेंसरशिप से   सहमति नहीं दिखाई. पिछले दिनों चल रहे विचार-विमर्श में इस मुद्दे

सिनेमालोक : आ रहीं ऐतिहासिक फिल्में

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सिनेमालोक आ रहीं  ऐतिहासिक फिल्में   -अजय ब्रह्मात्मज पिछले शुक्रवार को यशराज फिल्म्स की डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी के निर्देशन में बन रही ‘पृथ्वीराज’ की पूजा के साथ विधिवत शुरुआत हो गई. इस फिल्म में अक्षय कुमार और मानुषी छिल्लर मुख्य भूमिकायें निभा रहे हैं. उनके साथ संजय दत्त, आशुतोष राणा, मानव विज और अन्य कलाकार हैं. डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी को हम सभी टीवी धारावाहिक ‘चाणक्य’ के उल्लेखनीय निर्देशन के लिए जानते हैं. उन्होंने अभी तक ‘पिंजर’, ‘जेड प्लस’ और ‘मोहल्ला अस्सी’ फिल्मों के निर्देशन से अपनी एक पहचान बना ली है. खासकर भारत-पाकिस्तान विभाजन की पृष्ठभूमि पर बनी उनकी फिल्म ‘पिंजर’ की विशेष चर्चा होती है. यह फिल्म अमृता प्रीतम के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित है. डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी की पहले की तीनों फिल्में किसी न किसी सहितियिक कृति पर आधारित है.’ पृथ्वीराज’ के लिए भी उन्होंने चंदबरदाई की ‘पृथ्वीराज रासो’ से कथासूत्र लिए हैं और फिल्म के रूप में उनका विस्तार किया है. अगर ‘पृथ्वीराज’ योजना के मुताबिक बन गई तो ऐतिहासिक फिल्मों के संदर्भ में यह नए मानक मानक गढ़ेगी. वास्तव म

सिनेमालोक : उभरे कलाकार की फीस

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सिनेमालोक उभरे कलाकार की फीस अजय ब्रह्मात्मज पिछले दिनों एक प्रोडक्शन हाउस में बैठा हुआ था. उनकी नई फिल्म की योजना बन रही है. इस फिल्म में एक जबरदस्त भूमिका पंकज त्रिपाठी को ध्यान में रखकर लिखी गई है. चलन के मुताबिक वे लीड में नहीं है, लेकिन उनका रोल हीरो के पैरेलल है. उनके होने से फिल्म के दर्शनीयता बढ़ जाएगी. पंकज अपनी फिल्मों में एक रिलीफ के तौर पर देखे जाते हैं. उनकी मौजूदगी दर्शकों का इंटरेस्ट बढ़ा देती है. कई बार अनकहा दारोमदार उनके ऊपर होता है. जाहिर सी बात है कि उभरी पहचान और जरूरत से उनकी मांग बढ़ी है. हफ्ते के सात दिन और दिन के चौबीस घंटों में ही उन्हें फिल्मों के साथ अपनी तकलीफ ,तफरीह और परिवार के लिए भी जरूरी समय निकालना पड़ता है. मांग और आपूर्ति के पुराने आर्थिक नियम से पंकज त्रिपाठी के भाव बढ़ गए हैं. पंकज के भाव का बढ़ना ही इस प्रोडक्शन हाउस की मुश्किलों का सबब बन गया है. बात चली कि आप तो उन्हें जानते हैं? हां में सिर हिलाने के बाद आग्रह होता है, उनसे एक बार बात कीजिए ना! बताइए उन्हें हमारे बारे में और फिल्म के बारे में. निजी तौर पर मैं इस तरह की बैठकोण और

सिनेमालोक : अब की पति पत्नी और वो

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सिनेमालोक अब की पति पत्नी और वो -अजय ब्रह्मात्मज 41 साल पहले 12 मई 1978 में आई बीआर चोपड़ा की फिल्म ‘पति पत्नी और वो’ की रीमेक 6 दिसंबर 2019 को रिलीज होगी. सामाजिक विषयों पर गंभीर और उत्तेजक फिल्मों के निर्देशन-निर्माण के लिए मशहूर बीआर चोपड़ा ने अपनी मुख्य शैली से विक्षेप लेकर ‘पति पत्नी और वो’ का निर्माण और निर्देशन किया था. आज के दर्शकों को मालूम नहीं होगा कि इसे हिंदी के प्रसिद्ध लेखक कमलेश्वर ने लिखा था. कमलेश्वर ने पुरुष के जीवन में पत्नी के अलावा वो की कल्पना से इस कॉमिक सिचुएशन की फिल्म सोची थी. सामाजिक सच्चाई तो यही है कि समाज में ऐसे किस्से’सुनते को मिलते रहते हैं और वो की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है. कमलेश्वर ने पुरुष की फितरत के रूप में वो की कल्पना की थी. मूल फिल्म में पहले एक एनिमेशन आता है, जिसमें आदम और हव्वा को दिखाया गया है. आदम और हव्वा निषिद्ध सेव खाते हैं और उनके अंदर कामेच्छा जगती है. इसकी वजह से उन्हें स्वर्ग से निकालकर धरती पर धकेल दिया जाता है. कहते हैं आदम और हव्वा धरती पर रहते हैं और कभी-कभी उनकी जिंदगी में वह निषिद्ध फल वो की तरह आ ही जाता है. फिल

सिनेमालोक : बड़े सितारों की चूक

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सिनेमालोक बड़े सितारों की चूक - अजय ब्रह्मात्मज पिछले हफ्ते आई साजिद नाडियाडवाला की   फिल्म ' हाउसफुल 4' ने दर्शकों और समीक्षकों को निराश किया. इसकी वजह से फिल्म का कारोबार अपेक्षा से बहुत कम रहा. निर्माता को उम्मीद थी की दिवाली के मौके पर रिलीज हो रही यह फिल्म पहले 3 दिनों में ही 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लेगी. ट्रेड पंडितों का अनुमान था कि पहले दिन ही फिल्म का कारोबार 25 से 35 करोड़ के बीच होगा. अक्षय कुमार   समेत तीन अभिनेताओं और कृति ससैनन समेत तीन अभिनेत्रियों की यह फिल्म रिलीज के पहले से तहलका मचा रही थी.   एक गीत ' बाला बाला बाला शैतान का साला ' विचित्र नृत्य मुद्राओं की वजह से लोकप्रिय हो गया था.बाला चैलेंज के तहत फिल्म बिरादरी के सदस्य और आम प्रशंसक हास्यास्पद वीडियो सोशल मीडिया पर डाल रहे थे. उन्हें निर्माता रिट्वीट कर रहे थे. यूँ लग रहा था कि फ़िल्म को इस श्रेणी की पुरानी फिल्मों की तरह भारी कामयाबी मिलेगी. ऐसा नहीं हो सका. अक्षय कुमार की लोकप्रियता से पहले दिन थोड़े दर्शक आये , लेकिन अगले दिन दर्शक सससससस Z कम हो गए. कामयाब फिल्मों का एक ट्रेंड है क

सिनेमालोक : गांधी के विचारों पर बनेगी फिल्में

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सिनेमालोक गांधी के विचारों पर बनेगी फिल्में -अजय ब्रह्मात्मज पिछले दिनों आमिर खान, शाह रुख खान,राजकुमार हिरानी और एकता कपूर समेत फ़िल्म बिरादरी के 45-50 सदस्य प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मिले. छन्नू लाल मिश्र और एक-दो शास्त्रीय गायक भी इस मुलाकात में शामिल थे. सेल्फी सक्रिय फ़िल्म बिरादरी ने मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पर प्रधान मंत्री के पहल और सुझाव की तारीफ की झड़ी लगा दी. प्रधानमंत्री ने उनके ट्वीट के जवाब दिए और उनके प्रयासों की सराहना की. सभी ने अलग-अलग शब्दों और बयानों में मोदी जी की बात दोहराई और जुछ ने महात्मा गांधी की प्रासंगिकता की भी बात कही। इस साल 2 अक्टूबर से गांधी की 150वीं जयंती की शुरुआत हो चुकी है. सरकार और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने गंफ़ही जयंती पर कोई खास सक्रियता नहीं डिझायी है. खबर तो यह थी कि दो साल पहले ही एक समिति बनी थी,जिसे 150 वीं जयंती की रणनीति तय करनी थी। क्या रणनीति बनी? बहरहाल, प्रधान मंत्री से फ़िल्म बिरादरी के सदस्यों की मुलाक़ात और विशेष बैठक उल्लेखनीय है. इसका महत्व तब और बढ़ जाता है,जब हम देखते हैं कि कुछ सालों पहले भक्तों के निशाने पर आएआम

सिनेमालोक : मामी फिल्म फेस्टिवल

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सिनेमालोक मामी  फिल्म फेस्टिवल - अजय ब्रह्मात्मज   मामी (मुंबई एकेडमी ऑफ मूवी इमेजेज) के नाम से मशहूर मुंबई का इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल पिछले 20 सालों में फिल्मों के चयन, प्रदर्शन और विमर्श से ऐसे मुकाम पर आ गया है कि देश भर के सिनेप्रेमी सात दिनों के लिए मुंबई पहुंचते हैं. देश में और भी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल हैं. छोटे शहरों और कस्बों से लेकर मीडिया घरानों तक के अपने-अपने फेस्टिवल चल रहे हैं और कमाल है कि सभी इंटरनेशनल हैं. इनके आयोजन और लोकप्रियता से बढ़ती फिल्मों की समझदारी के बावजूद देश में ‘वॉर’ और ‘कबीर सिंह’ जैसी हिंदी फिल्में अपार कामयाबी हासिल कर लेती हैं. पिछले सालों में देश-विदेश की बेहतरीन फिल्में देखने का सिलसिला बढ़ा है. लेकिन हम या तो विदेशियों को सिखा-बता रहे हैं या उनसे ही सीख-समझ रहे हैं. देश की भाषाओँ में बनी फिल्मों की हमें खास जानकारी नहीं रहती. मुझे लगता है कि फिलहाल देश में एक राष्ट्रीय यानि कि नेशनल फेस्टिवल की जरूरत है. सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधीन कार्यरत फिल्म निदेशालय और एनएफडीसी पुणे स्थित राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार की मदद से पहल कर सकते है

सिनेमालोक : अपने-अपने अमिताभ

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सिनेमालोक अपने-अपने अमिताभ  पिछले 50 सालों में अमिताभ बच्चन ने ‘सात हिंदुस्तानी’( 1969 ) से लेकर ‘बदला’( 2019 ) तक के फिल्मी सफर में हर रंग,भाव,विधा और शैली की फिल्मों में काम किया है. ‘जंजीर’ से मिली एंग्री यंग मैन की छवि उनके साथ ऐसी चिपकी की उसने उनकी एक्टिंग के अन्य आयामों को धूमिल कर दिया. ‘एंग्री यंग मैन’ की छवि की फिल्मों को जबरदस्त लोकप्रियता मिली. उन्हें बार-बार देखा गया,उन लिखा गया. देश की सामाजिक और राजनीती हलचलों से जोड़ कर उन पर विमर्श हुआ. हिंदी फिल्मों के इतिहास का यह महत्वपूर्ण अध्याय है और उसके अमिताभ बच्चन नायक हैं. आने वाले सालों में भी उनकी चर्चा चलती रहेगी. पिछले 50 वर्षों में अमिताभ बच्चन ने अनेक पीढ़ियों का मनोरंजन किया है. उन्हें प्रभावित किया है और अपना मुरीद बना दिया है. मंचों और टीवी शो में सबसे ज्यादा उनकी नकल की जाती है. आवाज को भारी कर उनके मशहूर संवाद बोलते ही हर प्रशंसक खुद में अमिताभ बच्चन को महसूस करता है...हें. वास्तव में यह एक महान अभिनेता के अभिनय की सरलता है कि कोई भी उसके नकल कर लेता है. अमिताभ बच्चन प्रशिक्षित अभिनेता नहीं है. उन्होंन

सिनेमालोक : कुछ फिल्में गांधी की

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सिनेमालोक   कुछ फिल्में गांधी की   - अजय ब्रह्मात्मज   भक्त विदुर ( 1921) - निर्देशक कांजीलाल राठौड़ ने कोहिनूर फिल्म कंपनी के लिए ' भक्त विदुर ' का निर्देशन किया था. फिल्म के निर्माता द्वारकादास संपत और माणिक लाल पटेल थे. दोनों ने फिल्म में क्रमशः विदुर और कृष्ण की भूमिकाएं निभाई थीं. इस फिल्म में विदुर ने गांधी टोपी और खद्दर धारण किया था. यह मूक फ़िल्म दर्शकों को भा गई थी. इतनी भीड़ उमड़ी थी कि पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा. इस फिल्म को ब्रिटिश सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था. आदेश में लिखा था , ' हमें पता है कि आप क्या कर रहे हैं ? यह विदुर नहीं है , यह गांधी है और हम इसकी अनुमति नहीं देंगे. ' ' भक्त विदुर ' भारत की पहली प्रतिबंधित फ़िल्म थी. महात्मा गांधी टॉक्स(1931) – अमेरिका की फॉक्स मूवीटोन कंपनी ने गांधी जी से बातचीत रिकॉर्ड की थी. इसके लिए वे बोरसाद गांव गए थे. गांधी जी की आधुनिक तकनीकी चीजों में कम रूचि थी, फिर भी उन्होंने इसे रिकॉर्ड की अनुमति दी. वैसे उन्होंने कहा भी कि ‘मैं ऐसी चीजें पसंद नहीं करता, लेकिन मैंने खुद को समझा लिया है. महात्