फिल्म समीक्षा : हॉरर स्टोरी
   आ डर मुझे मार  -अजय ब्रह्मात्मज  किसी प्रकार की कोई गलतफहमी नहीं रहे, इसलिए विक्रम भट्ट ने फिल्म का  नाम ही 'हॉरर स्टोरी' रख दिया। डरावनी और भुतहा फिल्में बनाने में  विशेषज्ञता हासिल कर चुके विक्रम भट्ट ने इस बार खुद को लेखन और निर्माण तक  सीमित रखा है। निर्देशन की जिम्मेदारी आयुष रैना की है।     सात दोस्त हैं। उनमें से एक अमेरिका जा रहा है। उसकी विदाई की पार्टी  चल रही है। पार्टी को इंटरेस्टिंग बनाने के लिए सातों दोस्त पब में मिली एक  टीवी खबर को फॉलो करते हुए उस होटल में जा पहुंचते हैं, जिसे भुतहा माना  जाता है। वहां कई रहस्य छिपे हैं। रहस्य जानने का रोमांच उन्हें वहां खींच  लाता है। होटल में घुसने के बाद उन्हें एहसास होता है कि गलती हो गई है। वे  होटल में कैद हो जाते हैं और फिर एक-एक कर मारे जाते हैं। माया की भटकती  दुष्ट आत्मा उन्हें परेशान कर रही है। बचने की उनकी कोशिशें नाकाम होती  रहती हैं।     हॉरर फिल्मों में पहले से जानकारी रहती है कि भूत या आत्मा और जीवित  व्यक्तियों के बीच फिल्म खत्म होने तक संघर्ष चलता रहेगा। लेखक, निर्देशक  और तकनीशियन अगर खूबी के साथ थ्रिल बर...