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फिल्‍मकार अनुराग कश्‍यप की अविनाश से बातचीत

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नया सिनेमा छोटे-छोटे गांव-मोहल्‍लों से आएगा अनुराग कश्‍यप ऐसे फिल्‍मकार हैं, जो अपनी फिल्‍मों और अपने विचारों के चलते हमेशा उग्र समर्थन और उग्र विरोध के बीच खड़े मिलते हैं। हिंसा-अश्‍लीलता जैसे संदर्भों पर उन्‍होंने कई बार कहा है कि इनके जिक्र को पोटली में बंद करके आप एक परिपक्‍व और उन्‍मुक्‍त और विवेकपूर्ण दुनिया का निर्माण नहीं कर सकते। हंस के लिए यह बातचीत हमने दिसंबर में ही करना तय किया था, पर शूटिंग की उनकी चरम व्‍यस्‍तताओं के बीच ऐसा संभव नहीं हो पाया। जनवरी के पहले हफ्ते में सुबह सुबह यह बातचीत हमने घंटे भर के एक सफर के दौरान की। इस बातचीत में सिर्फ सिनेमा नहीं है। बिना किसी औपचारिक पृष्‍ठभूमि के हम राजनीति से अपनी बात शुरू करते हैं, सिनेमा, साहित्‍य और बाजार के संबंधों को समझने की कोशिश करते हैं। इसे आप साक्षात्‍कार न मान कर, राह चलते एक गप-शप की तरह लेंगे, तो ये बातचीत सिनेमा के पार्श्‍व को समझने में हमारी मददगार हो सकती है: अविनाश ____________________________________________________________________ पिछली सदी के नौवें दशक के बाद देश में जो नया राजनीतिक माह

वो काग़ज़ की कश्‍ती, वो बारिश का पानी-अविनाश

समझौते,सुविधाओं और संपर्कों की बूंदाबांदी के इस दौर में ज्यादातर लोग भीग रहे हैं.कुछ ही लोग हैं,जिनके पास विचारों का छाता या सोच की बरसाती है.इस बेईमान मौसम में ख़ुद को संभाले रखना भी एक लड़ाई है.अविनाश हमारे बीच सधे क़दमों से बेखौफ आगे बढ़ रहे हैं.चवन्नी ने ऐसा उत्साह विरले व्यक्तियों में देखा है,जो आपकी हर योजना के प्रति सकारात्मक राय रखे और यथासंभव सहयोग और साथ के लिए तैयार रहे.चवन्नी ने सिनेमा को लेकर कुछ अलग किस्म के लेखों के बारे में सोचा और दोस्तों से ज़िक्र किया.सबसे पहला लेख अविनाश ने भेजा.चवन्नी उसे यहाँ प्रकाशित कर रहा है.इच्छा है कि इस सीरिज़ के अंतर्गत हम सिनेमा से निजी संबंधों को समझें और उन अनुभवों को बांटे ,जिनसे हमें सिने संस्कार मिला.चवन्नी का आग्रह होगा कि आप भी अपने अनुभव भेजें.इसे फिलहाल हिन्दी टाकीज नाम दिया जा रहा है। वो काग़ज़ की कश्‍ती, वो बारिश का पानी अविनाश नौजवानी में एक अजीब सी गुन-धुन होती है। आप आवारा हैं और मां-बाप का आप पर बस नहीं, तो आप या तो कुछ नहीं बनना चाहते या सब कुछ बन जाना चाहते हैं। जैसे एक वक्त था, जब मुझे लगता था कि मैं भारतीय सिनेमा का एक ज़र