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कागजों पर बन जाती है फिल्‍म -शुजीत सरकार

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 -अजय ब्रह्मात्‍मज चर्चित और मशहूर निर्माता-निर्देशक शुजीत सरकार ‘ पिंक ’ के भी निर्माता हैं। ‘ पिंक ’ का निर्देशन अनिरूद्ध राय चौधरी ने किया है। यह उनकी पहली हिंदी फिल्‍म है। बांग्‍ला में पांच फिल्‍में बना चुके अनिरूद्ध को शुजीत सरकार अपने बैनर राइजिंग सन फिल्‍म्‍स में यह मौका दिया है। यह उनके बैनर की पहली फिल्‍म है,जिसका निर्देशन उन्‍होंने नहीं किया है। फिर भी अपने बैनर के क्रिएटिव हेड होने की वजह से ‘ पिंक ’ के निर्माण के हर पहलू में उनका हस्‍तक्षेप रहा है। वे बेधड़क कहते हैं, ’ मैं अपनी फिल्‍मों में हस्‍तक्षेप करता हूं। बैनर के साथ मेरा नाम जुड़ा है। मेरे बैनर के प्रति दर्शकों का एक विश्‍वास बना है। मैं नहीं चाहूंगा कि मैं किसी फिल्‍म पर ध्‍यान न दूं और वह दर्शकों को पसंद न आएं। सभी जानते हैं कि मेरी फिल्‍में क्‍वालिटी एंटरटेनमेंट देती हैं। ‘ अनिरूद्ध राय चौधरी निर्देशित ‘ पिंक ’ के बारे में वे कहते हैं, ’ इस फिल्‍म में अमिताभ बच्‍चन हैं। तापसी पन्‍नू,कीर्ति कुल्‍हारी और तीन लड़कियां हैं। तीनों वर्किंग वीमैन हैं। इस फिल्‍म में दिल्‍ली का बैकड्राप है। अनिरूद्ध की

अन्‍याय सहेगी न अब औरत - अमिताभ बच्‍चन

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-अजय ब्रह्मात्‍मज शुक्रवार को रिलीज हुई ‘ पिंक ’ में हम सभी ने अमिताभ बच्‍चन को एक नए अवतार और अंदाज में देखा। उनकी ऊर्जा दंग करती है। सभी कहते हैं कि अपने किरदारों के प्रति उनके मन में किसी बच्‍चे जैसी उमंग रहती है। अच्‍छी बात यह भी है कि लेखक उनकी उम्र और अनुभव को नजर में रख कर भूमिकाओं की चुनौती दे रहे हैं। अमिताभ बच्‍चन उन चुनौतियों को स्‍वीकार और भूमिकाओं को साकार कर रहे हैं। -‍ ’ पिंक ’ ने कैसी चुनौती दी और यह भूमिका किस मायने में अलग रही ? 0 शुजीत सरकार ने एक कांसेप्‍ट सुनाया था। फिल्‍म के विषय का कांसेप्‍ट सुन कर ही मैं राजी हो गया था। मुझे नहीं मालूम था कि कैसी पटकथा लिखी जा रही है और मुझे कैसा किरदार दिया जा रहा है ? तब यह भी नहीं मालूम था कि कौन डायरेक्‍ट करेगा ? स्क्रिप्‍ट की प्रक्रिया मेरी जानकारी में रही। शूटिंग के दरम्‍यान भी हमारा विमर्श चलता रहा कि क्‍या बोलना और दिखाना चाहि और क्‍या नहीं ? ‘ पिंक ’ एक विचार है। कहीं भी यह प्रयत्‍न नहीं है कि हम कुछ बताएं। हम ने इस विषय को फिल्‍म के रूप में समाज के सामने रख दिया है। -ऐसा लग रहा है कि आप समाज म

फिल्‍म समीक्षा : पिंक

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’ ना ’ सिर्फ एक शब्‍द नहीं है -अजय ब्रह्मात्‍मज शुजीत सरकार ‘ पिंक ’ के क्रिएटिव प्रोड्यूसर हैं। इस फिल्‍म के साथ उनका नाम इतने मुखर रूप से सामने रखा गया है कि निर्देशक गौण हो गए हैं। मार्केटिंग के लिहाज से यह सही रणनीति रही। शुजीत सरकार अलग ढंग के मनोरंजक सिनमा के पर्याय के रूप में उभर रहे हैं। ‘ विकी डोनर ’ से ‘ पीकू ’ तक में हम उनकी निर्देशकीय क्रिएटिविटी देख चुके हैं। यह फिलम उनकी निगरानी में बनी है,लेकिन यह अनिरूद्ध राय चौधरी की पहली हिंदी फिल्‍म है। अनिरूद्ध ने बांग्‍ला में ‘ अनुरणन ’ और ‘ अंतहीन ’ जैसी फिल्‍में निर्देशित की हैं,जिन्‍हें राष्‍ट्रीय पुरस्‍कारों से सम्‍मनित किया जा चुका है। इस पृष्‍ठभूमि का हवाला इसलिए कि राष्‍ट्रीय पुरस्‍कारों से सम्‍मानित फिल्‍मकारों की फिल्‍में भी आम दर्शकों का मनोरंजन कर सकती हैं। मनोरंजन के साथ सामाजिक संदेश से वे उद्वेलित भी कर सकती हैं। इसे रितेश शाह ने लिखा है। हम ‘ कहानी ’ , ‘ एयरलिफ्ट ’ , ’ तीन ’ और ‘ मदारी ’ में उनका कौशल देख चुके हें। ‘ पिंक ’ तीन लड़कियों के साथ उन चार लड़कों की भी कहानी है,जो फिल्‍म की केंद्

पिंक पोएम

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अनिरूद्ध रायचौधरी की फिल्‍म 'पिंक' में यह प्रेरक कविता है। इसे तनवीर क्‍वासी ने लिखा है।फिल्‍म में अमिताभ बच्‍चन ने इसका आेजपूर्ण पाठ किया है। फिल्‍म के संदर्भ में इस कविता का खास महत्‍व है। निर्माता शुजीत सरकार और उनकी टीम को इस प्रयोग के लिए धन्‍यवाद। हिंदी साहित्‍य के आलोचक कविता के मानदंड से तय करें कि यह कविता कैसी है? फिलहाल,'पिंक' वर्तमान समाज के प्रासंगिक मुद्दे पर बनी फिल्‍म है। लेख,निर्माता और निर्देशक अपना स्‍पष्‍ट पक्ष रखते हैं। कलाकारों ने उनके पक्ष को संजीदगी से पर्दे पर पेश किया है। तू ख़ुद की खोज में निकल , तू किस लिये  हताश है । तू चल तेरे वजूद की , समय को भी  तलाश है । जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ, समझ न इन को वस्त्र तू । यॆ बेड़ियाँ पिघाल के , बना ले इन को शस्त्र तू । चरित्र जब पवित्र है , तो कयुँ है यॆ दशा तेरी । यॆ पापियों को हक नहीं , कि ले परीक्षा तेरी । जला के भस्म कर उसे , जो क्रूरता का  जाल है । तू आरती की लौ नहीं , तू क्रोध की मशाल है । चूनर उड़ा के ध्वज बना , गगन भी कपकपाऐगा । अगर तेरी चूनर गिरी , तो एक भूकम्प आएगा