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फिल्‍म समीक्षा : वीआईपी 2

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फिल्‍म रिव्‍यू प्रतिभाओं का दुरुपयोग वीआईपी2 -अजय ब्रह्मात्‍म्‍ज सौंदर्या रजनीकांत निर्देशित ‘ वीआईपी2 ’ शायद रजनीकांत के वारिस की खोज है। परिवार के ही एक सदस्‍य धनुष को रजनीकांत की तरह की फिल्‍म में लाकर यही कोशिश की गई है। अफसोस धनुष में रजनीकांत की अदा और करिश्‍मा नहीं है। फिल्‍म में जब वे मुस्‍टंडे गुंडों को धराशायी करते हैं तो वह हंसी आती है। इसी प्रकार कैरेक्‍अर के लिए खास मैनरिज्‍म दिखाने में भी वे संघर्ष करते नजर आते हैं। कह सकते हैं कि तमिल की मेनस्‍ट्रीम पॉपुलर शैली में बनी यह फिल्‍म हिंदी दर्शकों को वहां की फिल्‍मों की गलत छवि देगी। रजनीकांत की फिल्‍में इतनी लचर और स्‍तरहीन नहीं होतीं। उनकी खास शैली होती है,जिसे उन्‍होंने सालों की मेहनत और दर्शकों के प्रेम से हासिल किया है। धनुष अलग श्रेणी के अभिनेता हैं। उन्‍हें इस सांचे में ढालने में सौंदर्या रजनीकांत पूरी तरह से असफल रही हैं। रघुवरण ईमानदार इंजीनियर है। कर्मठ और जमीर का पक्‍का रघुवरण कभी कोई गलत काम नहीं कर सकता। अपनी प्रतिभा से वह किसी को भी ललकार सकता है। संयोग से इस बार उसे वसुंधरा का सामना करना पड

षमिताभ में अमिताभ के साथ धनुष

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-अजय ब्रह्मात्मज     धनुष की दूसरी हिंदी फिल्म ‘षमिताभ’ वास्तव में उनकी 28वीं फिल्म है। अभिनय के लिए 2011 में राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके धनुष तमिल फिल्मों के चर्चित और प्रतिष्ठित अभिनेता हैं। इसी साल तमिल में उनकी पांच फिल्में प्रदर्शित होंगी। 2002 से तमिल फिल्मों में सक्रिय धनुष का नाम वेंकटेश प्रभु कस्तूरी राजा है। तमिल के बाहर के दर्शकों ने उन्हें एकबारगी 16 नवंबर 2011 को जाना। उस दिन उनका गाया ‘ह्वाई दिस कोलावरी डी’ यूट्यूब के जरिए सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और पूरा देश उनकी धुन में गुनगुनाता नजर आया। यह उसी दिन तय हो गया था कि जल्दी से जल्दी कोई हिंदी फिल्मकार उन्हें अपनी फिल्म के लिए चुनेगा। आनंद राय ने उन्हें ‘रांझणा’ में बनारसी लडक़े का किरदार दिया तो सभी चौंके,लेकिन फिल्म देखने के बाद पता चला कि वे बनारस के तमिल परिवार के लडक़े कुंदन की भूमिका में थे। ‘रांझणा’ की कामयाबी से उन्हें हिंदी दर्शकों ने पहचाना। उसके बाद से लगातार उनकी अगली हिंदी फिल्म की खबरें आ रही थीं। एक बार फिर उन्होंने चौंकाया। इस बार उन्हें आर बाल्की के निर्देशन में बनी ‘षमिताभ’ में अमिताभ बच्चन के साथ काम

शमिताभ नहीं 'षमिताभ' कहिए-लिखिए जनाब!

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  पढ़ने और बोलने में यह भले ही अजीब सा लगे, लेकिन धनुष और अमिताभ बच्चन की आर बाल्‍की निर्देशित फिल्म का नाम 'षमिताभ' ही होगा। अभी तक हिंदी मीडिया में इसे 'शमिताभ' लिखा और बोला जा रहा था। यह भूल हिंदी में पोस्टर नहीं आने की वजह से चल रही थी। कल जब ट्रेलर आया तो पता चला कि अमिताभ में धनुष के ष को जोड़ कर अनोखा नाम बनाया गया है, इसलिए इसे 'षमिताभ' लिखना और बोलना ठीक रहेगा। उच्चारण दोष से बहुत कम लोग ही बोलने में ष और श का भेद रख पाते हैं। अमूमन बताते समय भी यही समझाया जाता है कि षटकोण का ष। स्वयं अमिताभ बच्चन ने स्पष्ट किया कि फिल्म के नाम में षटकोण के ष का इस्तेमाल होगा। उल्लेखनीय है कि हिंदी में ष से आरंभ होने वाले शब्दों की संख्या बहुत कम है। एक भाषाविद् ने षमिताभ का अर्थ पूछने पर यों बताया, 'ष हिंदी और संस्कृत में अंक छह का सूचक है, इसलिए कह सकते हैं कि छह अमित आभाओं का व्यक्ति षमिताभ होगा। फिल्म की रिलीज तक इस नाम के अर्थ का रहस्य बना रहेगा। हिंदी शब्‍दकोष भी देखें तो ष से आरंभ होने वाले शब्‍द बमुश्किल 20-25 मिलेंगे।

दरअसल... धनुष की टंकार

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-अजय ब्रह्मात्मज     आनंद राय की ‘रांझणा’ प्रदर्शित होने के पहले से साउथ के स्टार धनुष के आने की टंकार सुनाई पड़ रही थी। एक तो ‘कोलावरी डी’ ने उन्हें अप्रत्याशित लोकप्रियता दे द थी और दूसरे वे दक्षिण के सुपरस्टार रजनीकांत के दामाद हैं। हिंदी फिल्मों के दर्शकों को यह तो एहसास हो गया था कि धनुष दक्षिण के पापुलर स्टार हैं, लेकिन रजनीकांत और कमल हासन के बरक्श वे उनका स्टारडम आज भी नहीं समझते। हम बताते चलें कि धनुष को अपने छोटे से करिअर में एक्टिंग के लिए नेशनल अवार्ड और फिल्मफेअर अवार्ड मिल चुके हैं। आनंद राय की ‘रांझणा’ हिंदी में उनकी पहली फिल्म है, लेकिन तमिल में वे पहले से एक सिद्धहस्त कलाकार की जिंदगी जी रहे हैं।     ‘रांझणा’ आई और धनुष की टंकार एक बार फिर हिंदी दर्शकों ने अपने कानों से सुनी। उन्होंने बड़े पर्दे पर धनुष को तमिल लहजे में हिंदी बोलते सुना और प्यार किया। उन्हें ‘रांझणा’ का कुंदन भा गया। अंग्रेजी प्रेस में शहरी लेखक कुंदन के चरित्र को लेकर ‘रांझणा’ का छीछालेदर कर रहे हैं। सचमुच, हम अपने ही देश की सच्चाइयों और स्थितियों से कितने अनजान हो गए हैं। 21वीं सदी के 2012 से ह

पढ़ लें धनुष के बारे में

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धनुष को आप सभी ने देख लिया। अब उन्‍हें पढ़ भी लीजिए।  तमिल सिनेमा के प्रिंस धनुष हिंदी फिल्मों में रांझणा से एक नई पारी का आगाज कर रहे हैं. रघुवेन्द्र सिंह इस सुपस्टार की विनम्रता से प्रभावित हैं आजकल तमिल सिनेमा के इंटरनेशनल सुपस्टार धनुष का नाम मुंबई में सबकी जुबान पर है. आनंद एल राय की फिल्म रांझणा में इस तीस वर्षीय युवक ने स्कूल बॉय की भूमिका जीवंत करके सबको चौंका दिया है. सोनम कपूर के साथ उनकी जोड़ी को अपरंपरागत माना जा रहा है, लेकिन यही इस अभिनेता की विशेषता है. उनका चेहरा भी हिंदी फिल्मों के आदर्श हीरो जैसा नहीं है, लेकिन उनके व्यक्तित्व में ऐसा आकर्षण है, जो सबको उनका दिवाना बना देता है. अपने अतुलनीय अभिनय के लिए उन्होंने सबसे कम उम्र (29 वर्ष) में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार हासिल करने का कीर्तिमान अपने नाम किया है. अडुकलम (2011) के लिए ही सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी उन्होंने जीता था. तमिल सिनेमा में 12 वर्षों से राज कर रहे धनुष ने दो वर्ष पहले कोलावरी डी गीत से विश्वस्तरीय लोकप्रियता हासिल करके सबको अचंभित कर दिया था. वह

फिल्‍म समीक्षा : रांझणा

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-अजय ब्रह्मात्‍मज  अगर आप छोटे शहरों, कस्बों और गांवों में नहीं रहे हैं तो 'रांझणा' का कुंदन बेवकूफ और बच्चा लगेगा। उसके प्रेम से आप अभिभूत नहीं होंगे। 21वीं सदी में ऐसे प्रेमी की कल्पना आनंद राय ही कर सकते थे। उसके लिए उन्होंने बनारस शहर चुना। मुंबई और दिल्ली के गली-कूचों में भी ऐसे प्रेमी मिल सकते हैं, लेकिन वे ऊिलहाल सिनेमा की नजर के बाहर हैं। बनारस को अलग-अलग रंग-ढंग में फिल्मकार दिखाते रहे हैं। 'रांझणा' का बनारस अपनी बेफिक्री, मस्ती और जोश के साथ मौजूद है। कुंदन, जोया, बिंदिया, मुरारी, कुंदन के माता-पिता, जोया के माता-पिता और बाकी बनारस भी गलियों, मंदिरों, घाट और गंगा के साथ फिल्म में प्रवहमान है। 'रांझणा' के चरित्र और प्रसंग के बनारस के मंद जीवन की गतिमान अंतर्धारा को उसकी चपलता के साथ चित्रित करते हैं। सिनेमा में शहर को किरदार के तौर पर समझने और देखने में रुचि रखने वाले दर्शकों के लिए 'रांझणा' एक पाठ है। फिल्म में आई बनारस की झलक सम्मोहक है। 'रांझणा' कुंदन और जोया की अनोखी असमाप्त प्रेम कहानी है। बचपन में ही कुंदन की द

ऑन द सेट्स: रांझणा

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सोनम कपूर और धनुष के साथ आनंद एल राय फिल्म रांझणा के कुछ गंभीर दृश्यों की शूटिंग फिल्मसिटी में कर रहे थे. उनके सेट से कुछ खूबसूरत यादें लेकर लौटे हैं रघुवेन्द्र सिंह कहानी कुंदन (धनुष) और जोया (सोनम कपूर) की प्रेम कहानी है रांझणा. यह बनारस की गलियों में रची-बसी है. कुंदन का बचपन का प्यार है जोया, लेकिन वह उससे अपने प्यार का इजहार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया. जोया पढ़ाई के लिए दिल्ली चली जाती है. जेएनयू में उसकी मुलाकात अकरम (अभय देओल) से होती है और फिर वह राजनीति में उतर जाती है. इस त्रिकोणीय प्रेम कहानी में दोस्ती और राजनीति का हल्का रंग भी है.  फिल्मसिटी में बसी दिल्ली रांझणा यूं तो बनारस के शुद्ध वातावरण में बसी एक प्रेम कहानी है, लेकिन इस प्रेम कहानी का एक बहुत गंभीर पहलू भी है. जिसके तार दिल्ली की राजनीति से जुड़ते हैं. इस राजनीति में उतरकर जोया कुछ खोती है, तो कुछ पाती है. उसने क्या खोया है और क्या पाया है, यह तो आपको यह फिल्म देखने के बाद पता चलेगा, लेकिन मुंबई की फिल्मसिटी में आनंद एल राय कुछ ऐसे दृश्यों की शूटिंग कर रहे हैं, जिनमें सोनम कपूर और