Posts

Showing posts with the label पुरानी फाइल

मिली बारह साल पुरानी डायरी-3

पुरानी डायरी की आखिरी किस्‍त। फिर से लिखना शुरू किया है। 10-12 सालों के बाद शेयर करूंगा। -अजय ब्रह्मात्‍मज 9 अगस्त 2001 - गुरुवार       आज ‘ ये रास्ते हैं प्यार के ’ और ‘ दिल चाहता है ’ देखी। दीपक शिवदासानी ने पूरी तरह से काल्पनिक और सतही कहानी कहने की कोशिश की है। कहानियां के किरदार अविश्वसनीय व्यवहार करें तो फिल्म चल नहीं पाती। मुझे नहीं लगता कि ‘ ये रास्ते हैं प्यार के ’ फिल्म कहानी की वजह से चलेगी। अजय देवगन की आंखों में दर्द है। उसका सही इस्तेमाल किया था महेश भट्ट ने ‘ जख्म ’ में। फिल्म के लिए अजय देवगन को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। ‘ दिल चाहता है ’ में स्टाइल और नयी भाषा है। नए तरीके से पुरानी बातें कहने की खोज है। फरहान की शैली में अन्वेषण का भाव है। आमिर खान ने फिल्म में अच्छा काम किया है। आकाश के किरदार को चढ़ी भवों और दुनिया को बेवकूफ समझने वाली नजरों से आमिर ने बखूबी निभाया है। उसका यह मिजाज इश्क में गिरफ्तार होने के बाद बदलता है। ‘ दिल चाहता है ’ पहले शहरों और फिर कस्बों में चलेगी। फरहान की इस फिल्म से एक ही शिकायत है कि यहां भी लड़कियां प्रोएक्टिव नहीं हैं।

हमारी गपबाजी में भी माद्दा होता था-पंकज कपूर

Image
 पंकज कपूर से यह बातचीत 1994-1995 में हुई होगी। यह अप्रकाशित ही रहा। अभी पुरानी फाइलों में मिला। कुछ बातें पुरानी और अप्रासंगिक हो गई हैं,लेकिन इन्‍हें एक बार पढ़ जाएं तो सारी बातें जरूरी लगने लगती हैं। आज पहला हिस्‍सा है। कल दूसरा और अंतिम हिस्‍सा पोस्‍ट करूंगा।       मैं पंजाब के लुधियाना शहर में पैदा हुआ। वहीं से मेंने स्कूल और कॉलेज की तालीम हासिल की। कुंदन विद्या मंदिर स्कूल में पढ़ा। आर्या कॉलेज में था। कॉलेज में प्री इंजिनयरिंग तक पढ़ाई की , फिर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय गया। 1973 में वहां गया। 1976 में वहां से निकला। अभिनय में विशेषज्ञता ली। एनएसडी की रेपटरी में चार साल तक काम किया। अभिनेता था। उसके बाद फिल्में मिलनी शुरू हो गईं तो फिल्मों का सिलसिला शुरू हो गया। स्कूल-कॉलेज की गतिविधियों में हमलोग काफी सक्रिय रहते थे। मैं अंतर्मुखी   कभी नहीं रहा , बहिर्मुखी व्यक्तित्व का था। उम्र बढऩे के साथ अब थोड़ी गंभीरता आ गई है। वर्ना बहुत शरारतें करते थे। नाटक,अभिनय और भाषण प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया करता था। खेल में भी समान रुचि थी। हमारा ज्‍यादातर समय इन्हीं चीजों में जाय