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दरअसल : दो छोर है ‘बैंग बैंग’ और ‘हैदर’

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-अजय ब्रह्मात्मज     2 अक्टूबर को रिलीज हुई सिद्धार्थ आनंद की ‘बैंग बैंग’ और विशाल भारद्वाज की ‘हैदर’ हिंदी सिनेमा के वत्र्तमान की दो छोर हैं। दोनों फिल्में पिछले हफ्ते रिलीज हुईं। उन्हें मिले दर्शक और कलेक्शन हिदी सिनेमा के बंटे दर्शकों की वास्तविकता भी जाहिर करते हैं। महात्मा गांधी के जन्मदिन के मौके पर मिले सरकारी का अवकाश का दोनों फिल्मों ने लाभ उठाया। इन दिनों फैशन चल गया है। अगर शुक्रवार के एक-दो दिन पहले कोई अवकाश या त्योहार हो तो निर्माता अपनी फिल्मों का वीकएंड लंबा कर देते हैं। मान लिया गया है कि अब फिल्मों का बिजनेश रिलीज से रविवार तक के कलेक्शन से स्पष्ट हो जाता है। कभी-कभार कोई फिल्म सोमवार के आगे दर्शक खींचने और बढ़ाने में सफल होती है। ‘बैंग बैंग’ और ‘हैदर’ का बारीक अध्ययन होना चाहिए। इस अध्ययन में हम हिंदी सिनेमा के वत्र्तमान के अनेक पहलुओं से परिचित हो जाएंगे।     ‘बैंग बैंग’ सिद्धार्थ आनंद की फिल्म है। उन्होंने हालीवुड की फिल्म ‘नाइट एंड डे’ के अधिकार लेकर इसे हिंदी में बनाया है। इस पर चोरी का आरोप नहीं लगाया जा सकता। रीमेक के इस दौर में जब दक्षिण भारत,दक्षिण कोरिया औ

खुद को पा लिया मैंने -रितिक रोशन

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  -अजय ब्रह्मात्मज रितिक रोशन की ‘बैंग बैंग’ ने दर्शकों का ध्यान पहले टीजर से ही खींचा। फिर प्रोमो और गानों ने उत्सुकता बढ़ा दी। इस फिल्म में रितिक रोशन नए अवतार में दिखे। स्वयं रितिक ने भी फिल्म की शूटिंग के दरम्यान महसूस किया कि यह फिल्म उनकी खुद से पहचान करा रही है। ‘बैंग बैंग’ को मिली प्रतिक्रिया के बारे में रितिक कहते हैं : बहुत अच्छा लग रहा है। इस फिल्म के लिए ऐसा रेस्पॉन्स मिलना बहुत जरूरी था। ट्रेलर और गानों को अच्छी प्रतिक्रिया मिली। उम्मीद है कि फिल्म भी लोगों को उतनी ही अच्छी लगे। हालांकि हर फिल्म में मेहनत होती है, लेकिन ‘बैंग बैंग’ में हमने ज्यादा समय और मेहनत की है। फिल्म की शूटिंग के दरम्यान हम अजीब-अजीब मोड़ों से गुजरे। लगता था कि कहीं कुछ गड़बड़ हो गई है। फिल्म पूरी होने के बाद लग रहा है कि नहीं सब कुछ ठीक है। मैं बहुत ही खुश और संतुष्ट हूं। यह फिल्म बहुत अच्छी बनी है। आज तक मैं किसी और फिल्म को लेकर इतना आश्वस्त नहीं रहा। मेरे हिसाब से यह अब तक की मेरी सबसे बड़ी और श्रेष्ठ फिल्म है। पहली बार ऐसा लग रहा है। -क्या यह आप के होम प्रोडक्शन ‘कृष’ से भी बड़ी है?

फिल्‍म समीक्षा : बैंग बैंग

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  -अजय ब्रह्मात्‍मज  हॉलीवुड की फिल्म 'नाइट एंड डे' का अधिकार लेकर हिंदी में बनाई गई 'बैंग बैंग' पर आरोप नहीं लग सकता कि यह किसी विदेशी फिल्म की नकल है। हिंदी फिल्मों में मौलिकता के अभाव के इस दौर में विदेशी और देसी फिल्मों की रीमेक का फैशन सा चल पड़ा है। हिंदी फिल्मों के मिजाज के अनुसार यह थोड़ी सी तब्दीली कर ली जाती है। संवाद हिंदी में लिख दिए जाते हैं। दर्शकों को भी गुरेज नहीं होता। वे ऐसी फिल्मों का आनंद उठाते हैं। सिद्धार्थ आनंद की 'बैंग बैंग' इसी फैशन में बनी ताजा फिल्म है। इस फिल्म के केंद्र में देश के लिए काम कर रहे सपूत राजवीर की कहानी है। हर प्रकार से दक्ष और योग्य राजवीर एक मिशन पर है। हरलीन के साथ आने से लव और रोमांस के मौके निकल आते हैं। बाकी फिल्म में हाई स्पीड और हाई वोल्टेज एक्शन है। पूरी फिल्म एक के बाद एक हैरतअंगेज एक्शन दृश्यों से भरी है, जिनमें रितिक रोशन विश्वसनीय दिखते हैं। उनमें एक्शन दृश्यों के लिए अपेक्षित चुस्ती-फुर्ती है। उनके साथ कट्रीना कैफ भी कुछ एक्शन दृश्यों में जोर आजमाती है। वैसे उनका मुख्य काम सुंदर दिखना और