हिंदी टाकीज-2 (1) : मैं ही मैं तो हूं सिनेमा में-विभा रानी
एक अर्से के बाद हिंदी टाकीज सीरिज फिर से आरंभ हो रहा है। श्रेय गीताश्री को दूंगा। मुझ आलसी को उन्होंने कोंच कर जगाया और पिछली सीरिज में छपे सभी संस्मरणों को संयोजित करने की हिदायत के साथ खुशखबरी दी कि यह पुस्तक के रूप में भी आएगा। तैयारी चल रही है। इस सीरिज की शुरूआत विभा रानी के संस्मरण से। विभा रानी ने एक अलंग अंदाज में सिनेमा के अनुभव और यादों को समेटा है। उनके ब्लॉग छम्मकछल्लो कहिस से उनके लेखन के बारे में जान सकते हें। अब आप सभी से आग्रह है कि इस सीरिज को जिंदा रखें। अपने सिनेमाई अनुभव शेयर करें। इस सीरिज में सिनेमा से पहली मुलाकात,दोस्ती,प्रेम और जीवन संबंध के बारे में बताना है।अपने शहर या कस्बे की झांकी दें तो और बेहतर....सिनेमाघर का नाम,टिकट दर,प्रमुख फिल्मों का भी उल्लेख करें। अपने संस्मरण brahmatmaj@gmail.com पर मुझे भेजें। साथ में एक अपनी तस्वीर जरूर हो। कुछ और संदर्भित तस्वीरें हो तो क्या कहना ? -विभा रानी चौंक गए ना! चौंकिए मत। ध्यान से सुनिए। फिर आप भी कहेंगे कि मैं ही मैं तो हूं सिनेमा में। हिंदुस्तानियों का सिनेमा स