दरअसल:दुविधा में संजय दत्त की आत्मकथा
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-अजय ब्रह्मात्मज चुनाव की सरगर्मी के बाद संजय दत्त ने नेता का चोला उतार दिया है। वे इन दिनों गोवा में अजय देवगन की फिल्म ऑल द बेस्ट की शूटिंग में बिजी हैं। इस दौरान उन्होंने खुद को आंका। कार्यो को निबटाया और दोस्तों के साथ बैठकें कीं। वे अजय को छोटे भाई मानते हैं। यही वजह है किफिल्म की योजना के मुताबिक उन्होंने एक शेड्यूल में शूटिंग खत्म की। सभी जानते हैं कि संजय की फिल्म उनकी उलझनों की वजह से खिंच जाती हैं। संजय लगते एकाकी हैं, लेकिन उनका जीवन एकाकी हो ही नहीं सकता! उनके दोस्त उन्हें नहीं छोड़ते। शायद उन्हें भी दोस्तों की जरूरत रहती है। यह अलग बात है कि उनके दोस्त बदलते रहते हैं। उनके दोस्तों की सूची सीमित है। उनके कुछ स्थायी दोस्त हैं, जिनसे वे कभी-कभी ही मिलते हैं, लेकिन वे दोस्त ही उनके भावनात्मक संबल हैं। अपनी जिंदगी की उथल-पुथल में उन्होंने दोस्तों को परखा है। वे उन पर भरोसा करते हैं। संजय सरीखे व्यक्ति भावुक और अलग किस्म से संवेदनशील होने के कारण भरोसे में धोखा भी खाते हैं। वे ऐसे धोखों से कुछ नहीं सीखते। वे फिर भरोसा करते हैं। पिछले दिनों चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने देश के स