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Showing posts from March, 2012

यहां नेटवर्किंग से काम मिलता है आपको, सिर्फ अपने टेलेन्ट से नहीं-इरफान

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-अजय ब्रह्मात्‍मज जनपरी-मार्च 2005 के कथाचित्र-3 में इरफान का यह इंटरव्‍यू छपा था। तब उनकी हासिल आई थी। अभी पान सिंह तोमर के बाद इरफान फिर से चर्चा में हैं। उनके पुराने इंटरव्‍यू का ऐतिहासिक महत्‍व है। सात सालों के बाद भी उनके जवाब प्रासंगिक हैं.... इरफान खान से अजय ब्रह्मात्मज की बातचीत - आपके चर्चा में होने की जो ट्रायोलॉजी बन गई है... 0 ट्रायोलॉजी... ? - हां , मतलब लोग फिल्मों की ट्रायोलॉजी करते हैं आपके चर्चा में होने की है , तो इसके जो ' हासिल ' हैं उसके बारे में... 0 जी मेरे लिए भी ये ट्रायोलॉजी है , उम्मीद करता हूं कि ऐसे कुछ प्रोजेक्ट मिलते रहेंगे आगे भी-क्योंकि इस तरह के प्रोजेक्ट लिखे नहीं जाते , ' हासिल ' जैसा रोल तो मुझे लगता है रेयरली लिखा जाता है। इत्तेफाक से एक के बाद एक मुझे मिल गया , मेरी इसमें कोशिश इतनी ही है कि इतने सालों का मेरा जो इंतजार था शायद वह जस्टीफाई हुआ... और मेरा मानना है कि अगर आपकी कोई इंटेंस डिजायर है और आप उस तरफ काम कर रहे हैं तो एक प्वाइंट के बाद चीजें अपने आप शायद ठीक होने लगती हैं... - लेकिन क्या ऐसा लगता है कि दस सा

फिल्‍म समीक्षा : एजेंट विनोद

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चुनौतियों से जूझता एजेंट विनोद -अजय ब्रह्मात्‍मज एक अरसे के बाद हिंदी में स्पाई थ्रिलर फिल्म आई है। श्रीराम राघवन ने एक मौलिक स्पाई फिल्म दी है। आमतौर पर हिंदी में स्पाई थ्रिलर बनाते समय निर्देशक जेम्स बांड सीरिज या किसी और विदेशी फिल्म से प्रभावित नजर आते हैं। श्रीराम राघवन ऐसी कोशिश नहीं करते। उनकी मौलिकता ही एक स्तर पर उनकी सीमा नजर आ सकती है, क्योंकि एजेंट विनोद में देखी हुई फिल्मों जैसा कुछ नहीं दिखता। एजेंट विनोद उम्मीद जगाती है कि देश में चुस्त और मनोरंजक स्पाई थ्रिलर बन सकती है। ऐसी फिल्मों में भी कहानी की आस लगाए बैठे दर्शकों को इतना बनाता ही काफी होगा कि एक भारतीय एजेंट मारे जाने से पहले एक कोड की जानकारी देता है। वह विशेष कुछ बता नहीं पाता। एजेंट विनोद उस कोड के बारे में पता करने निकलता है। दिल्ली से दिल्ली तक के खोजी सफर में एजेंट विनोद पीटर्सबर्ग, मोरक्को, रिगा, पाकिस्तान आदि देशों में एक के बाद एक चुनौतियों से जूझता है। किसी वीडियो गेम की तरह ही एजेंट विनोद की बाधाएं बढ़ती जाती हैं। वह उन्हें नियंत्रित करता हुआ अपने आखिरी उद्देश्य की तरफ बढ़ता जाता है। श्रीराम राघवन ने एज