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खानाबदोश अभिनेता आदिल हुसैन

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-अजय ब्रह्मात्मज हिंदी फिल्मों के दर्शकों ने आदिल हुसैन को सबसे पहले अभिषेक चौबे की फिल्म ‘इश्किया’ में देखा था। अभिषेक चौबे ने उनका नाटक ओथेलो देख रखा था। उन्हें विद्याधर शर्मा की भूमिका के लिए आदिल हुसैन जैसा ही इंटेंस एक्टर चाहिए था। आरंभिक झिझक के बाद आदिल हुसैन मान गए थे। उसके बाद वे ‘इंग्लिश विंग्लिश’ के सतीश गोडबोले, ‘लुटेरा’ के केएन सिंह और ‘एक्सपोज’ के किरदारों में दिखे। उन सभी किरदारों में वे ग्रे शेड की डार्क भूमिकाओं में थे। अपनी बन रही इमेज से अलग भूमिका में वे डॉ.चंद्रप्रकाश द्विवेद्वी की ‘जेड प्लस’ में दिखेंगे। इस फिल्म में उन्होंने असलम खान की भूमिका निभाई है, जो फतेहपुर कस्बे में पंक्चर की दुकान चलाता है। इसी शहर में पीपल वाले पीर की दरगाह है। दरगाह में जिस दिन का वह खादिम है, उसी दिन प्रधानमंत्री का आगमन होता है। दोनों की मुलाकात में भाषा की दिक्कत से गफलत पैदा होती है। असलम को प्रधानमंत्री की जेड प्लस सुरक्षा मिल जाती है। उनके रहम से असलम की जिंदगी की दिनचर्या बदल जाती है।     इन दिनों आदिल हुसैन ज्यादातर समय ‘जेड प्लस’ से संबंधित इंटरव्यू और प्रचार में निक

जेड प्‍लस मतलब con man बनाम common man

आज जेड प्‍लस के निर्देशक डाॅ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी एक सवाल के जवाब में मीडिया को जिम्‍मेदार ठहराते हुए कहा कि con man की कहानी को आप देश के अंतिम व्‍यक्ति तक ले जाते हैं,लेकिन जब common man की कहानी बनती है तो क्‍या आप उसके साथ खड़े रहते हैं? मुझे लगता है कि इस बार आप के सामने अवसर आया है कि आप किस के साथ खड़े हैं ? देश के यबसे बड़े con man के साा या देश के common man के साथ।