फिल्म समीक्षा : करीब करीब सिंगल
![Image](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi0o2tQcrCjYY4HyYRaN0L2lH0mJjGFv-zQrUMLauoBAhPP3JbXmFf4iLYUnGwFeQRzRxJC4rA_RkHP2-sU-QHFSwyXH_0J4VtTVlS0yVll7O7v7KzVeo01R1DHBA7igHXqZvxjoeyycUQ/s1600/qarib.jpg)
फिल्म समीक्षा करीब करीब सिंगल -अजय ब्रह्मात्मज अवधि- 125 मिनट ***1/2 साढ़े तीन स्टार हिंदी में लिखते-बोलते समय क़रीब के क़ के नीचे का नुक्ता गायब हो जाता है। आगे हम इसे करीब ही लिखेंगे। ’ करीब करीब सिंगल ’ कामना चंद्रा की लिखी कहानी पर उनकी बेटी तनुजा चंद्रा निर्देशित फिल्म है। नए पाठक जान लें कि कामना चंद्रा ने राज कपूर की ‘ प्रेमरोग ’ लिखी थी। यश चोपड़ा की ‘ चांदनी ’ और विधु विनोद चोपड़ा की ‘ 1942 ए लव स्टोरी ’ के लेखन में उनका मुख्य योगदान रहा है। इस फिल्म की निर्माताओं में इरफान की पत्नी सुतपा सिकदर भी हैं। एनएसडी की ग्रेजुएट सुतपा ने फिल्में लिखी हैं। इरफान की लीक से हटी फिल्मों में उनका अप्रत्यक्ष कंट्रीब्यूशन रहता है। इस फिल्म की शूटिंग में इरफान के बेटे ने भी कैमरे के पीछे हिस्सा लिया था। तात्पर्य यह कि ‘ करीब करीब सिंगल ’ कई कारणों से इसके अभिनेता और निर्देशक की खास फिल्म है। यह खासियत फिल्म के प्रति तनुजा चंद्रा और इरफान के समर्पण में भी दिखता है। फिल्म के प्रमोशन में इरफान की खास रुचि और हिस्सेदारी सबूत है। इस फिल्म की पहली