हैदर - विशाल का विशाल फलक
-कुमार गौरव हैदर विशाल भारद्वाज की अब तक की सबसे उम्दा फिल्म मानी जा सकती है..मकबूल से लेकर हैदर तक विशाल शेक्सपीयर की रचनाओं को पर्दे पर बखूबी उतारते आये हैं..बात हैदर की करें तो इसके प्रत्येक फ्रेम में शेक्सपीयर है हाँ कुछ दृश्यों में बदलाव जरुर हुए हैं...हैदर शेक्सपियर की रचना हेमलेट पर आधारित है....विशाल में इसके चरित्रों को पर्दे पर बखूबी उतारा है और कलाकारो ं ने अपने चरित्रों के साथ इन्साफ किया है....सभी पात्रों में किरादारों की मेहनत झलकती है..शहीद कपूर ने हैदर के चरित्र को जीवंत किया है...रिश्तों की बुनावट में एक सामाजिक समस्या के विशाल फलक को विशाल ने पर्दे पर उतारने का प्रयास किया है...फिल्म के संवाद भीतर तक प्रभावित करते हैं..'कश्मीर में ऊपर खुदा है नीचे फौज', पूरा कश्मीर कैदखाना है मेरे दोस्त, हत्या के बाद अफसर कहता हैः मरा हुआ मिलिटेंट (आतंकी) भी आजकल एक लाख का है। सेना पर एक और तीखा व्यंग्य है। एक दृश्य में व्यक्ति दरवाजे पर खड़ा है। अंदर नहीं जाता। उसकी मां पूछती है कि अंदर क्यों नहीं आ रहा। तब भी वह खड़ा रहता है। कश्मीर की पृष्ठभूमि और उसकी समस