फिल्म समीक्षा : बीए पास
-अजय ब्रह्मात्मज सिक्का सिंह की कहानी 'रेलवे आंटी' पर आधारित 'बीए पास' दिल्ली की कॉलोनी और मोहल्ले में चल रहे व्यभिचार को लेकर बुनी गई एक युवक मुकेश की कहानी है। मुकेश से सहानुभूति होती है, क्योंकि मुसीबतों से घिरा वह युवक कुचक्र में फंसता चला जाता है। आखिर में जब वह इस कुचक्र से निकलना चाहता है तो बुरी तरह से कुचल जाता है। 'बीए पास' सारिका की भी कहानी है। पारिवारिक जीवन में ऊबी महिला यौन इच्छाओं के लिए मुकेश को हवस का शिकार बनाती है और फिर उसे पुरुष वेश्या बनने पर मजबूर करती है। यह जॉनी की भी कहानी है, जो मौका मिलते ही मॉरीशस निकल जाता है। एक अंतराल के बाद ऐसी फिल्म आई है, जिस के किरदारों के नाम थिएटर से निकलने के बाद भी याद रहते हैं। तीनों किरदारों को अच्छी तरह गढ़ा गया है। फिल्म के प्रोमो से 'बीए पास' सेक्स से अटी फिल्म जान पड़ती है। लेखक-निर्देशक ने इस संदर्भ में पर्याप्त दृश्य भी रखे हैं, लेकिन अश्लील फिल्मों की तरह वे उसमें रमे नहीं हैं। निर्देशक का उद्देश्य उत्तेजक दृश्यों से दर्शकों को समाज के उस अंधेरे में ले जाना था, ज