साधारण फिल्मों की फेहरिस्त में डार्लिग
-अजय ब्रह्मात्मज राम गोपाल वर्मा की डार्लिग उन दर्शकों के लिए सबक है जो विवाहेतर रिश्तों में फंसे हैं। आपकी प्रेमिका भूत बनकर भी आपका पीछा कर सकती है। सो, बेहतर है कि अभी से संभल जाएं। बीवी और वो के साथ डबल शिफ्ट कर रहे आदित्य सोमण (फरदीन खान) को लगता है कि वह डबल मजे ले रहा है। एक दिन अचानक पता लगता है कि वो गर्भवती हो गई है। उनमें हाथापाई होती है और वो को ऐसी चोट लगती है कि वह मर जाती है। किस्सा यहीं से शुरू होता है। वो यानी कि गीता मेनन (एषा देओल) बदले की भावना से आदित्य की जिंदगी और घर में प्रवेश करती है। भेद खुलने तक स्थितियां काफी उलझ चुकी होती हैं। बीवी अश्विनी की मौत हो जाती है। गीता की भटकती आत्मा अपने प्रेमी आदित्य के साथ रहने के लिए अश्विनी (ईशा कोप्पिकर) के शरीर में प्रवेश कर जाती है। वहम, अंधविश्वास और अतार्किक घटनाओं की यह कहानी किसी भी स्तर पर नहीं छूती। राम गोपाल वर्मा की कमजोर और साधारण फिल्मों की फेहरिस्त में डार्लिग भी शामिल की जाएगी। सोच के स्तर पर इस दिवालियापन को लेकर क्या कहें?