फिल्म समीक्षा : रेस 3
फिल्म समीक्षा रेस 3 -अजय ब्रह्मात्मज फ़ोन की घंटी बजती है..... -ब्रिज बाबू ? कहाँ हो ? कइसन हो? 0 अरे हम ठीक हैं शमसु। अभी-अभी तुम्हरे शहर में लैंड हुए हैं। -फ़ोन अरे फ़ोन कहे को किये? सीधे मेंशनवा पर आ जाओ। 0 मिलने हम खास तुम्ही से आये हैं। मगर बात जरा प्राइवेट है। सुनो न,हमने तुम्हरे यहाँ इंटर कॉन्टिनेंटल होटल में रूम नंबर 1001 बुक किया है,मतलब एक हज़ार एक ,समझ गए ना? तुम एक घंटे में आ सकते हो का? एक थो बहुत। 0 अरे तुम कहो तो,तुम से पहले पहुँच कर हार और तिलक लेकर खड़े हो जाएं। हुकुम करो। -तो आ जाओ फौरन। ० ओके बढ़िया,सी यू इन वन ऑवर। फिल्म के एक प्रमुख कलाकार अनिल कपूर और सहयोगी कलाकार राजेश शर्मा के बीच पुरबिया लहजे की हिंदी में यह बातचीत होती है। यूँ लगता है कि हिंदी फिल्म में भोजपुरी या प्रकाश झा की फिल्मों की भाषा प्रवेश कर गयी है। अन्य किरदार इसी भाषा को बोलते हैं तो साफ़ पता चलता है कि वे लहजे की पकड़ में कितने कमज़ोर हैं। एक जगह तो अनिल कपूर अपनी बेटी को ताना भी मारते हैं कि ना भाषा सीखी और न भाव। दरअसल अनिल कपूर यानि शमशेर सिंह इलाहबाद के पास के