अपना जमाना याद रहता है -प्रीतम
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-अजय ब्रह्मात्मज कुछ समय के लिए आप गायब हो गए थे। कहां और क्यों? -फिल्म ‘धूम’ करने के बाद मैैंने ब्रेक लेने का तय किया। अप्रैल 2014 तक हाथ में लिया काम समेट लिया। सबसे पहले बच्चों को लेकर लंदन गया। छह महीने तक मैैंने कोई काम नहीं किया। लगातार काम करने के कारण काफी बोर हो गया था। काम में ही एनर्जी नहीं मिल रही थी। इसलिए काम से ब्रेक लिया। उस समय कबीर खान ‘बजरंगी भाईजान’ कर रहे थे। अनुराग बसु भी ‘जग्गा जासूस’ की शूटिंग शुरु कर चुके थे। मुझे छुट्टी से लौट कर इन दोनों फिल्मों के लिए काम करना पड़ा। छुट्टी के दौरान मैैंने कई फिल्में छोड़ी। अगस्त 2013 के बाद मैैंने कोई काम नहीं लिया। बड़ी-छोटी जैसी भी फिल्मों के ऑफर मिले। मैैंने साफ मना कर दिया। -यहां हर आदमी को लगता है, दूसरे काम हमें मिलें। ऐसे में काम से बे्रक लेने की हिम्मत कहां से मिलती है? देखिए, मैैं वर्कोहलिक हूं। अपने प्रोफेशन से प्यार करता हूं। मैैं सारा दिन स्टूडियो में काम करता रहता हूं। वर्कोहलिक इंसान को जब काम करने का मन नहीं होता ह,ै तो इसका मतलब कोई तो प्रॅाब्लम है। फिर मैैंने सोचा चलो देखते हैैं। थोड़ा आराम करते हैै