फिल्म समीक्षा - सरदार गब्बर सिंह
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पवन कल्याण की पहली हिंदी फिल्म -अजय ब्रह्मात्मज तेलुगू के लोकप्रिय स्टार की पहली हिंदी फिल्म है ‘ सरदार गब्बर सिंह ’ । हिंदी दर्शक उनसे परिचित हैं,लेकिन हिंदी में उनकी डब फिल्में वे टीवी पर देखते रहे हैं। इस फिल्म की मेकिंग के दौरान पवन कल्याण और उनकी टीम को लगा कि यह हिंदी मिजाज की फिल्म है। इसे डब कर तेलुगू के साथ रिलीज किया जा सकता है। हालीवुड में ‘ सुपर हीरो फिल्म ’ का चलन है। यह दक्षिण की प्रचलित शैली में बनी ‘ सुपर स्टार फिल्म ’ है,िजसकी नकल हिंदी में भी होने लगी है। खानत्रयी ने आगे-पीछे इसकी शुरूआत की। यह अनाथ गब्बर की कहानी है। उसे ‘ शोले ’ फिल्म का गब्बर पसंद है,इसलिए उसने अपना नाम गब्बर रख लिया। वह निडर है। ‘ जो डर गया,समझो मर गया ’ उसका प्रिय संवाद और जीवन का आदर्श वाक्य है। एक पुलिस अधिकारी उसे पालता और पुलिस में नौकरी दिलवा देता है। ईमानदार,निडर और बहादुर सरदार गब्बर सिंह से अपराधी खौफ खाते हैं। उसका तबादला रतनपुर किया जाता है। वहां का एक ठेकेदार गरीब किसानों की जमीन हड़पने के साथ स्थानीय राजा की बेटी और संपत्ति पर भी नजर गड़ाए हु