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हमें तो कहीं कोई सांस्कृतिक आक्रमण नहीं दिखता - गुलजार

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-अजय ब्रह्मात्‍मज पाठको के लिए गुलजार साहब किसी परिचय के मोहताज नहीं। फिल्मों में गीत , संवाद , लेखन , निर्देशन के माध्यम से उन्होंने अपनी खास संवेदनशीलता को अभिव्यक्त किया है। उनकी फिल्में चालू मसालों से अलग होने के बावजूद दर्शकों को प्रिय रही हैं। उन्होंने न केवल विषय और निर्देशन को लेकर बल्कि ' छबिबद्घ ' हो गए जितेंद्र विनोद खन्ना , डिंपल कपाडिया जैसे मशहूर कलाकारों के साथ भी अभिनय प्रयोग किया है। टीवी पर ' गालिब ' के जीवन और उनकी गलजों को जिस खूबसूरती से उन्होंने पेश किया , वह जीवनीपरक धारावाहिकों में मिसाल है। बच्चों के लोकप्रिय धारावाहिक ' पोटली बाबा की ' और ' जंगल की कहानी ' के शीर्षक गीत न सिर्फ बल्कि सयानों के होठों पर भी थिरकतें हैं। गीतों की सादगी और उनमें मौजूद मधुरिम लय के साथ शब्दों का नाजुक चुनाव ही शायद उनकी   लोकप्रियता की वजह है। गुलजार साहब कहते हैं , ' मुझे तो बच्चों ने गीत दिए हैं। मैंने तो केवल उन्हें सजा दिया है। ' इन दिनों गुलजार दूरदर्शन के लिए ' किरदार ' धारावाहिक बनाने में व्यस्त हैं। शायद दर्शकों को या