फिल्म समीक्षा : शादी के साइड इफेक्टृस
पति,पत्नी और इच्छाएं -अजय ब्रह्मात्मज न तो फरहान अख्तर और न विद्या बालन,दोनों में से कोई भी कामेडी के लिए चर्चित नहीं रहा। निर्देशक साकेत चौधरी ने उन्हें शादी के साइड इफेक्ट्स में एक साथ पेश करने का जोखिम उठाया है। फरहान अख्तर की पिछली फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' रही है। उसके पहले भी वे अपनी अदाकारी में हंसी-मजाक से दूर रहे हैं। विद्या बालन ने अवश्य घनचक्कर में एक कोशिश की थी,जो अधिकांश दर्शकों और समीक्षकों के सिर के ऊपर से निकल गई थी। साकेत चौधरी ने शादी के साइड इफेक्ट्स में दोनों को परिचित किरदार दिए हैं और उनका परिवेश घरेलू रखा है। इन दिनों ज्यादातर नवदंपति सिड और तृषा की तरह रिलेशनशिप में तनाव,दबाव और मुश्किलें महसूस कर रहे हैं। सभी शिक्षा और समानता के साथ निजी स्पेस और आजादी की चाहत रखते हैं। कई बा लगता है पति या पत्नी की वजह से जिंदगी संकुचित और सीमित हो रही है। निदान कहीं और नहीं है। परस्पर समझदारी से ही इसे हासिल किया जा सकता है,क्योंकि हर दंपति की शादीशुदा जिंदगी के अनुभव अलग होते हैं। सिड और तृषा अपनी शादीशुदा जिंदगी में ताजगी बनाए रखने के लिए न