फिल्म समीक्षा : हिंदी medium
फिल्म रिव्यू zaruri फिल्म हिंदी medium -अजय ब्रह्मात्मज साकेत चौधरी निर्देशित ‘ हिंदी मीडियम ’ एक अनिवार्य फिल्म है। मध्यवर्ग की विसंगतियों को छूती इस फिल्म के विषय से सभी वाकिफ हैं,लेकिन कोई इस पर बातें नहीं करता। आजादी के बाद भी देश की भाषा समस्या समाप्त नहीं हुई है। दो की लड़ाई में तीसरे का फायदा का साक्षात उदाहरण है भारतीय समाज में अंग्रेजी का बढ़ता वर्चस्व। अंग्रेजी की हिमायत करने वालों के पास अनेक बेबुनियादी तर्क हैं। हिंदी के खिलाफ अन्य भाषाओं की असुरक्षा अंग्रेजी का मारक अस्त्र है। अंग्रेजी चलती रहे। हिंदी लागू न हो। अब तो उत्तर भारत के हिंदी प्रदेशों में भी अंग्रेजी फन काढ़े खड़ी है। दुकानों के साइन बोर्ड और गलियों के नाम अंग्रेजी में होने लगे हैं। इंग्लिश पब्लिक स्कूलों के अहाते बड़ होते जा रहे हैं और हिंदी मीडियम सरकारी स्कूल सिमटते जा रहे हैं। हर कोई अपने बच्चे को इंग्लिश मीडियम में डालना चाहता है। सरकार और समाज के पास स्पष्ट और कारगर शिक्षा व भाषा नीति नहीं है। खुद हिंदी फिल्मों का सारा कार्य व्यापपार मुख्य रूप से अंग्रेजी में होन