सेक्शुएलिटी से हमेशा पुरुषों को ही क्यों परेशानी होती है?-अनुराग कश्यप
-अजय ब्रह्मात्मज दैट गर्ल इन यलो बूट्स ’ के समय सब बोल रहे थे कि क्यों बना रहे हो ? मत बनाओ। मुझे जितने ज्यादा लोग बनाने से मना करते हैं मुझे उतना ही लगता है कि मुझे यह फिल्म जरूर बनानी चाहिए। एक समय था, जब सब लोग चाहते थे कि मैं कुछ और करूं। जितने लोग चाहते थे कि मैं रास्ता बदल दूं , मैं उन लोगों को छोड़कर अलग हो गया। तभी आरती भी छूट गई। उस समय मैं दबाव में फालतू - फालतू फिल्में लिखता था, सिर्फ इसलिए कि गाड़ी की किश्त भर सकूं। मैं तो गाड़ी में घूमता नहीं हूं। लाइफ स्टाइल वही था। घर भी उतना ही बड़ा चाहिए। अगर घर छोटा होता तो दबाव कम होता। मैं जितना फालतू काम करता , जितनी घटिया फिल्म लिखता, अंदर गुस्सा उतना बढ़ जाता। मैं अंदर ही अंदर ब्लेम करने लग गया था अपने चारों तरफ लोगों को। घर पर कोई काम नहीं करता था। सब लोग बैठे रहते थे , सब इंतजार करते थे कि मेरी फिल्म कब शुरू होगी। कोई काम नहीं करता था। ‘ सरकार ’ हुई तो उसमें के के निकल गया। मैं तो स