फिल्म समीक्षा : तेरा सुरुर
हिमेश की गायकी और डबलिन की खूबसूरती तेरा सुरूर अजय ब्रह्मात्मज निश्चित ही हिमश रेशमिया अपनी खूबियों के बारे में जानते हैं। वे अपनी फिल्मों में उन खूबियों को पर्याप्त स्पेस और फोकस के साथ पेश करते हें। उनकी फिल्मों की सजावट खूबसूरत और आकर्षक रहती है। ‘ तेरा सुरूर ’ में वे दर्शकों को डबलिन के लोकेशन पर ले जाते हैं। डबलिन के विहंगम दृश्यों(एरियल शॉट) से शहर की खूबसूरती की मनोरम झलक मिलती है। हम इस शहर में विभिन्न बहानों से बार-बार हिमेश रेशमिया को देखते हैं। कभी वे गा रहे होते हैं। कभी सोच रहे होते हैं। और कभी एक्शन कर रहे होते हैं। कैमरा उन्हें खोज ही लेता है। सब कुछ अच्छी तरह से दिखाने के लिए फिल्म में स्लो मोशन का भरपूर इस्तेमाल किया गया है। हम हिमेश रेशमिया की बदली कद-काठी,हीरोइन फराह करीमी की सुदरता,मां शरनाज पटेल की ममता और शेखर कपूर,कबीर बेदी,नसीरूद्दीन शाह की मौजूदगी से अभिभूत होते हैं। संदर्भ के लिए यह हिंदी फिल्मों की जूनियर आर्टिस्ट मां के बेटे रघु की कहानी है। बचपन में परिस्थितियों के कारण वह अपराधी बन जाता है। जेल से निकलन