फिल्म समीक्षा : शिवाय
एक्शन और इमोशन से भरपूर शिवाय -अजय ब्रह्मात्मज अजय देवगन की ‘ शिवाय ’ में अनेक खूबियां हैं। हिंदी में ऐसी एक्शन फिल्म नहीं देखी गई है। खास कर बर्फीली वादियों और बर्फ से ढके पहाड़ों का एक्शन रोमांचित करता है। हिंदी फिल्मों में दक्षिण की फिल्मों की नकल में गुरूत्वाकर्षण के विपरीत चल रहे एक्शन के प्रचलन से अलग जाकर अजय देवगन ने इंटरनेशनल स्तर का एक्शन रचा है। वे स्वयं ही ‘ शिवाय ’ के नायक और निर्देशक हैं। एक्शन दृश्यों में उनकी तल्लीनता दिखती है। पहाड़ पर चढ़ने और फिर हिमस्खलन से बचने के दृश्यों का संयोजन रोमांचक है। एक्शन फिल्मों में अगर पलकें न झपकें और उत्सुकता बनी रहे तो कह सकते हैं कि एक्शन वर्क कर रहा है। ‘ शिवाय ’ का बड़ा हिस्सा एक्शन से भरा है,जो इमोशन को साथ लेकर चलता है। फिल्म शुरू होती है और कुछ दृश्यों के बाद हम नौ साल पहले के समय में चले जाते हैं। शिवाय पर्वतारोहियों का गाइड और संचालक है। वह अपने काम में निपुण और दक्ष है। उसकी मुलाकात बुल्गारिया की लड़की वोल्गा से होती है। दोनों के बीच हंसी-मजाक होता है और वे एक-दूसरे को भाने लग...