फिल्म समीक्षा : पार्च्ड
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फिल्म रिव्यू अनगिन औरतों में से तीन पार्च्ड -अजय ब्रह्मात्मज एक साल से भिन्न देशों और फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जा रही लीना यादव की ‘ पार्च्ड ’ अब भारत में रिलीज हुई है। ‘ शब्द ’ और ‘ तीन पत्ती ’ का निर्देशन कर चुकी लीना यादव की यह तीसरी फिल्म है। इस फिल्म में बतौर फिल्मकार वह अपने सिग्नेचर के साथ मौजूद हैं। सृजन के हर क्षेत्र में कते रहते हैं। लीना यादव ने तन,मन और धन से अपनी मर्जी की फिल्म निर्देशित की है और यह फिल्म खूबसूरत होने के साथ यथार्थ के करीब है। ‘ पार्च्ड ’ के लिए हिंदी शब्द सूखा और झुलसा हो सकता है। राजस्थान के एक गांव की तीन औरतों की सूखी और झुलसी जिंदगी की यह कहानी उनके आंतरिक भाव के साथ सामाजिक व्यवस्था का भी चित्रण करती है। 21 वीं सदी में पहुंच चुके देश में कई समाज और गांव आज भी सदियों पीछे जी रहे हैं। उनके हाथों में मोबाइल आ गया है। टीवी और डिश एंटेना आ रहा है,लेकिन पिछड़ी सोच की जकड़न खत्म नहीं हो रही है। पुरुषों के कथित पौरुष ने परंपरा और नैतिकता का ऐसा जाल बिछा रखा है कि औरते लहूलुहान हो रही हैं। लीना यादव की ‘ पार्च्ड ’