आनंद गांधी का अनोखा साक्षात्कार फिलम सिनेमा से
चवन्नी के पाठकों के लिए यह इंटरव्यू फिलम सिनेमा से साभार लिया गया है। ंिहदी के पाठक इसे अवश्य पढ़ें और गुनें। गजेन्द्र सिंह भाटी को विशेष धन्यवाद... आनंद गांधी कौन हैं ? इन फ़िल्मकार का एक रोचक रूप देखना हो तो आगे बढ़ने से पहले Doppelgänger देखें , हैरत होगी। वह 1980 में पैदा हुए तो इस हिसाब से 32 के हो गए हैं। मराठी रंगमंच में उन्होंने कई नाटक लिखे। 2000 के बाद टेलीविज़न के लिए उन्होंने लिखना शुरू किया। वह ‘ क्योंकि सास भी कभी बहू थी ’ के डायलॉग और ‘ कहानी घर घर की ’ के स्क्रीनप्ले लिखने वाली टीम का हिस्सा थे। 2003 में उन्होंने अपनी पहली फ़िल्म ‘ राइट हियर राइट नाओ ’ ( 1 , 2 ) बनाई। तीन साल बाद आनंद ने पांच अध्याय वाली फ़िल्म ‘ कंटिन्युअम ’ ( हंगर , ट्रेड एंड लव , डेथ , एनलाइटनमेंट , कंटिन्युअम ) बनाई। पिछले साल वह अपनी पहली फीचर फ़िल्म ‘ शिप ऑफ थिसीयस ’ लेकर आए। एक ऐसी फ़िल्म जो विश्व के तमाम सम्मानित फ़िल्म समारोहों में जाकर आई है और सबको चौंका कर आई है। ‘ धोबी घाट ’ की निर्देशिका किरण राव और यूटीवी मोशन पिक्चर्स , आनंद की निर्माण कंपनी रीसाइकिलवाला फिल्म्स