सत्यमेव जयते-11: सम्मान के साथ सहारा भी दें-आमिर खान
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मुङो लगता है कि भारत विश्व के उन गिने-चुने देशों या समाजों में शामिल है जहां सांस्कृतिक और पारंपरिक रूप से बुजुर्गो को बहुत अधिक सम्मान दिया जाता है। भारत संभवत: एकमात्र देश है जहां हम बड़ों के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने के लिए उनके पैर छूते हैं। तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि व्यावहारिक स्तर पर और अपने बुनियादी ढांचे के लिहाज से हम अपने बुजुर्गो की देखभाल के मामले में अन्य देशों से बहुत पीछे हैं। भारतीय समाज बदल रहा है और धीरे-धीरे हम संयुक्त परिवार की संस्कृति से एकल परिवारों की ओर बढ़ रहे हैं और इसके साथ ही अपने परिवार में बड़े-बूढ़ों के प्रति हमारे संबंध भी बदल रहे हैं। आज जो व्यक्ति किसी बड़े शहर में काम-धंधे के सिलसिले में रह रहा है उसके समक्ष बहुत चुनौतियां हैं। उसके पास खुद के लिए, अपने छोटे से परिवार के लिए बहुत कम समय है। इस बदलते परिदृश्य में गौर कीजिए कि हमारे बड़े-बुजुर्गो के साथ क्या होता है? हम उनके लिएक्या करते हैं?हमें अपने बुजुर्गो के लिए बेहतर योजना बनाने की आवश्यकता है और सच कहें तो खुद अपने लिए भी, क्योंकि देर-सबेर हम सभी को उस स्थिति में पहुंच