फिल्म समीक्षा : सिमरन
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फिल्म रिव्यू अभिनेत्री की आत्मलिप्तता सिमरन -अजय ब्रह्मात्मज हंसल मेहता निर्देशित ‘ सिमरन ’ देखते समय शीर्षक भूमिका निभा रही कंगना रनोट की वर्तमान छवि स्वाभाविक रूप से ध्यान में आ जाती है। ज्यादातर पॉपुलर स्टार की फिल्मों में उनकी छवि का यह प्रभाव काम करता रहता है। कंगना रनोट अपने टीवी इंटरव्यू में निजी जिंदगी और सामाजिक मामलों पर अपना पक्ष स्पष्ट शब्दों में रख रही थीं। इन विवादास्पद इंटरव्यू से उनकी एक अलग इमेज बनी है। ‘ सिमरन ’ के शीर्षक किरदार की भूमिका में उनकी छवि गड्डमड्ड हुई है। फिल्म के अनेक दृश्यों में ऐसा लगता है कि अभी तो कंगना को इंटरव्यू में यही सब बोलते सुना था। बहरहाल, ’ सिमरन ’ प्रफुल्ल पटेल की कहानी है। प्रफ़ुल्ल पटेल अमेरिका के अटलांट शहर में अपने मां-बाप के साथ रहती है। उसका तलाक हो चुका है। विधवा विलाप के बजाए वह जिंदगी को अपने अंदाज में जीना चाह रही है। मध्यवर्गीय गुजराती मां-बाप की एक ही ख्वाहिश है कि वह फिर सेशादी कर ले और सेटल हो जाए। रोज की खिच-खिच से परेशान प्रफुल्ल एक अलग घर लेना चाहती है। उसने कुछ पैसे जमा कर र