हर फिल्म में अपना आर्टिस्टिक वॉयस मिले: किरण राव
-अजय ब्रह्मात्मज किरण राव स्वतंत्र सोच की लेखक और निर्देशक हैं। उनकी पहली फिल्म इसी महीने रिलीज हो रही है। इस इंटरव्यू में किरण राव ने निर्देशन की अपनी तैयारी शेयर की है। ‘ लेफ्ट टू द सेंटर ’ सोच की किरण की कोशिश अपने आसपास के लोगों को समझने और उसे बेहतर करने की है। उन्हें लगता है कि इसी कोशिश में किसी दिन वह खुद का पा लेंगी। - हिंदी फिल्मों से पहला परिचय कब और कैसे हुआ ? 0 बचपन मेरा कोलकाता में गुजरा। मेरा परिवार फिल्में नहीं देखता था। हमें हिंदी फिल्मों का कोई शौक नहीं था। वहां हमलोग एक क्लब मे जाकर फिल्में देखते थे। शायद ‘ शोले ’ वगैरह देखी। नौवें दशक के अंत में हमारे घर में वीसीआर आया तो ज्यादा फिल्में देखने लगे। इसे इत्तफाक ही कहेंगे कि पहली फिल्म हमने ‘ कयामत से कयामत तक ’ ही देखी। । उस तरह के सिनेमा से वह मेरा पहला परिचय था। उसके पहले दूरदर्शन के जरिए ही हिंदी फिल्में देख पाए थे। - क्या आप के परिवार में फिल्में देखने का चलन ही नहीं था ? 0 मेरे परिवार में फिल्मों का कोई शौक नहीं था। वे फिल्मों के खिलाफ नहीं थे , लेकिन उनकी रुचि थिएटर और संगीत में थी। साथ में रहने से