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फरवरी के २९ दिनों में ५ शुक्रवार,२ बेकार

कैसा संयोग है साल के सबसे कम दिनों के महीने फरवरी में इस बार ५ शुक्रवार पड़े.महीने की पहली तारीख को शुक्रवार था और महीने की आखिरी तारीख को भी शुक्रवार है.लेकिन क्या फायदा..२ शुक्रवार तो बेकार ही गए.२२ और २९ फर्र्वारी को कोई भी फ़िल्म रिलीज नहीं हुई.वैसे १ फ़रवरी को रिलीज हुई रामा रामा क्या है ड्रामा और ८ फ़रवरी को रिलीज हुई मिथ्या बकवास ही निकलीं.केवल सुपरस्टार एक हद तक ठीक थी.हाँ १५ फ़रवरी को रिलीज हुई जोधा अकबर सचमुच ऐतिहासिक फ़िल्म है.इस फ़िल्म को लेकर अभी जो भी बवाल चल रहा हो,आप यकीन करें भविष्य में इस फ़िल्म का अध्ययन किया जायेगा.आप सभी को यह फ़िल्म कैसी लगी?आप अपनी राय जरूर लिखें.चवन्नी को बताएं ...चवन्नी सबको बताएगा। chavannichap@gmail.com

आख़िरी शुक्रवार,२८ अक्तूबर, २००७

साल का आख़िरी शुक्रवार चवन्नी को दुखी कर गया.कैसे? अनुराग कश्यप और महेश भट्ट दोनों चवन्नी को प्रिय हैं.अनुराग के पैशन और समर्पण का चवन्नी कायल है.यही कारण है कि चवन्नी अनुराग की बातों को यहाँ लाता रहा है.आज अनुराग कश्यप ने बहुत निराश किया.रिटर्न ऑफ़ हनुमान के लेखक-निर्देशक हैं अनुराग कश्यप.इस फिल्म में वे पूरी तरह से निराश करते हैं.चवन्नी ने फिल्म देखी और बेहद उदास हो गया.आख़िर क्या सोच कर अनुराग ने यह फिल्म लिखी और निर्देशित की.और अगर की तो पूरा ध्यान क्यों नहीं दिया?यह फिल्म अनुराग कश्यप के नाम पर धब्बा हो गयी। चवन्नी को महेश भट्ट अपनी साफगोई और बेलौस बयानों के कारन पसंद हैं.वे दो तरह की बातें नहीं करते.उनकी फिल्म शोबिज़ आज रिलीज हुई है.इसे किसी राजू खान ने निर्देशित की है.भट्ट कैंप से इतनी बुरी फिल्म की उम्मीद चवन्नी नहीं कर सकता.फिल्म मीडिया की भूमिका और रवैये पर सवाल उठाती है ,लेकिन सब कुछ इतना सतही और ऊपरी है कि सच्चाई की झलक भी नही मिल पाती।

शुक्रवार,21 दिसम्बर,२००७

आज दो फिल्में रिलीज हो रही हैं.चवन्नी को लगता है कि एक मज्दार फिल्म है और दूसरी समझदार फिल्म है.अब आप तय करो कि पहले कौन सी देखने जा रहे हो.दो मिजाज की हैं फिमें,लेकिन अनुमान है कि दोनों मनोरंजक होंगी। पिछली बार चवन्नी के एक नियमित पाठक ने आदेश दिया था कि चवन्नी को फिल्म की सिफारिश करनी चाहिए और साफ-साफ बताना चाहिए कि फिल्म देखने जाएँ या न जाएँ?चवन्नी इस भरोसे का कायल हो गया है.दिक्कत यह होती है कि आप के मनोरंजन की १००% गारंटी वाली फिल्में ही तो नही आतीं। इस बार चवन्नी गारंटी के साथ कह सकता है कि आप आमिर खान की तारे ज़मीन पर देखने जाएँ.आप निराश नहीं होंगे.फिल्म आपको पहले से समझदार बना देगी और मनोरंजन होगा सो अलग.जी हाँ ,यकीन करें तारे ज़मीन पर पैसा वसूल फिल्म है.रोचक तथ्य यह है कि फिल्म का हीरो नया लड़का दर्शील सफारी है और आमिर खान ने फिल्म में उसे पूरी महत्ता दी है.आम तौर पर पॉपुलर हीरो दूसरों के रोल काटने में लगे रहते हैं.यहाँ आप देखेंगे कि कैसे आमिर ने स्क्रिप्ट की ज़रूरत के मुताबिक अपना रोल छोटा रखा है.चवन्नी इतनी बातें इस वजह से बता पा रहा है कि उसने फिल्म देख ली है। दूसरी फिल्म व

शुक्रवार,७ दिसम्बर, २००७

आज दो फिल्में रिलीज हुई हैं.सुधीर मिश्र की खोया खोया चांद और संजय गुप्ता कि दस कहानियाँ.खोया खोया चांद खास फिल्म है,क्यों? सबसे पहले तो इस फिल्म का निर्देशन सुधीर मिश्र ने किया है.सुधीर की फिल्में अलग और विशेष होती हैं.उन्होने इस फिल्म में सातवें दशक की हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री की झलक दी है.फिल्म देखते हुए आपको कभी गुरुदत्त तो कभी कमाल अमरोही तो कभी साहिर लुधियानवी की याद आ सकती है.आप मीना कुमारी और मधुबाला को भी सोहा अली खान में देख सकते हैं.यह फिल्म आप ज़रूर देखें। दूसरी फिल्म नया प्रयोग है.एक फिल्म में दस कहानियाँ.अलग अलग १० कहानियो को एक साथ मनोरंजन का गुलदस्ता पेश किया है संजय गुप्ता ने.इस फिल्म में शाबान आज़मी,मनोज बज्पाई और नाना पाटेकर कि कहानियाँ देखने लायक हैं.

शुक्रवार,३० नवम्बर,२००७

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कोई रुनझुन सुनाई पड़ रही है.चवन्नी के कानों में सुरीली झंकार की अनुगूंज है.कोई दोनों बाहें फैलाये न्योता दे रहा है.न..न.. शाहरुख़ खान नही हैं.उनके आमंत्रण में झंकार नही रहती.मोहक मुस्कान की मलिका और एक ठुमके से दर्शकों का दिल धड़का देनेवाली धक् धक् गर्ल आज देश भर के सिनेमाघरों में नया जलवा दिखाने आ रही हैं.जी हाँ चवन्नी माधुरी दीक्षित की ही बात कर रहा है।चवन्नी की सिफारिश है कि आप माधुरी के न्योते को स्वीकार करें.लगभग पांच सालों के बाद हिन्दी सिनेमा के रुपहले परदे पर जल्वाफ्रोश हो रही माधुरी का आकर्षण कम नहीं हुआ है.हालांकि इस बीच हीरोइनों का अंदाज बदल गया है और सारी की सारी हीरोइनें एक जैसी लगती और दिखती हैं,वैसे में माधुरी दीक्षित का निराला अंदाज पसंद आना चाहिए।माधुरी की आजा नचले एक लड़की दीया कि कहानी है,जो अपने गुरु की संस्था को किसी भी सूरत में बचाना चाहती है.हिन्दी फिल्मों में उम्रदराज हीरोइनों के लिए जगह नहीं होती.अमिताभ बच्चन के पहले हीरो के लिए भी नही होती थी.अमिताभ बच्चन के लिए केन्द्रीय किरदार लिखे गए.शाबान आज़मी के लिए गॉडमदर लिखी गयी थी.जाया बच्चन हजार चौरासिवें की माँ में

शुक्रवार,९ नवम्बर,२००७

माफ़ करें.दीपावली कि खुशियों में थोडी देर हो गयी.चवन्नी ने सोचा था कि सवेरे ही पोस्ट कर देगा,लेकिन एक के बाद एक काम लगा रहा.और फिर रात में फिल्म देख कर देर से लौटने के कारण चवन्नी आज ज्यादा देर तक सोया ही रहा.बहरहाल इस शुक्रवार की बात करें। आज दो फिल्में और दोनो ही बड़ी फिल्में रिलीज हुई हैं.संजय लीला भंसाली की सांवरिया और फराह खान कि ओम शांति ओम ने सभी सिनेमाघरों को भर दिया है.चवन्नी ने आप को पिछले हफ्ते बताया ही था कि इन दोनों फिल्मों के डर से २ नवम्बर को कोई फिल्म रिलीज नही हुई थी.चवन्नी आप को बता दे कि अगले हफ्ते भी कोई फिल्म रिलीज नही हो रही है। सांवरिया में दो नए स्टार हैं.कपूर खानदान के वारिस के तौर पर पेश किये जा रहे रणबीर कपूर और अनिल कपूर कि बेटी सोनम कपूर को आप इस फिल्म में देख सकते हैं.चवन्नी ने सुना है कि रणबीर कपूर और सोनम कपूर को पसंद किया गया है.पसंद तो ओम शांति ओम की दीपिका पदुकोन को भी किया जा रहा है.चवन्नी को अजय ब्रह्मात्मज की समीक्षाओं का इंतज़ार है। बुधवार को सांवरिया का प्रीमियर था.फिल्म जगत के ढेर सारे लोग फिल्म देखने आये थे.यह अनोखा माहौल होता है.मौका मिल तो च

शुक्रवार,२ नवम्बर ,२००७

ब्लॉग की दुनिया में पोस्टदेखी चलती है.आप का पोस्ट दिखता है तो लोग पढ़ते हैं और टिपण्णी भी करते हैं.आप पोस्ट न करें तो किसी को याद भी नही रहता कि आप ब्लॉग पर सक्रिय थे.बोधिसत्व अपवाद है,क्योंकि वे अभय तिवारी को याद करते हैं.चवन्नी किसी ग़लतफ़हमी में नही है कि उसका पोस्ट खूब पढ़ जाता है या कोई इंतज़ार करता है. शुक्रवार का यह पोस्ट २ नवम्बर को नही लिखा गया। चवन्नी आप को याद रहे न रहे ...वह लिखता रहेगा.पिछले शुक्रवार को चवन्नी शहर से दूर था और पोस्ट लिखने कि स्थिति में नही था.अब इसे संयोग ही कहें कि २ नवम्बर को कोई फिल्म रिलीज नही हुई.एक तरह से अच्छा ही रहा।वैसे आपको चवन्नी बता दे कि सांवरिया और ओउम शांति ओउम के दर से कोई निर्माता इस हफ्ते फिल्म रिलीज करने कि हिम्मत नही कर सका.किसी ने बताया कि दीवाली के पहले के हफ्ते में पिछले पच्चीस सालों से फिल्में रिलीज नही होती.अगर आप लोगों में से किसी को जानकारी हो तो बताएं. चलिए थोडी बासी खबरें ही जान लें.पिछले हफ्ते ऐश्वर्या राय और शाहरुख़ खान का जन्मदिन था.चवन्नी उन्हें बधाई देता है... देर से ही सही.उम्मीद है कि आप ने उन्हें बधाई भेज दी होगी.दोनों

शुक्रवार ,२६ अक्टूबर ,२००७

अक्टूबर महीने का आखिरी शुक्रवार है.तीन फिल्में रिलीज हो रही हैं.सबसे पहले उन फिल्मों की बाट कर लें। विक्रम भट्ट अब फिल्में पेश करने लगे हैं.लगातार १० फ्लॉप फिल्में बनाने के बाद उनका यह फैसला दर्शकों के लिए कितना खुशगवार होगा...यह टू वक्त ही बताएगा.इस हफ्ते उनकी पहली पेशगी 'मुम्बई सालसा' आ रही है.इसे मनोज त्यागी ने दिरेक्ट किया है.अगर आप मेट्रो शहरों में नही रहते तो अपने जोखिम पर ही इस फिल्म को देखने जाएं.सेक्स,रोमांस और रिश्तों की ऐसी उलझन समझना छोटे शहरों के दर्शकों की कल्पने से परे है। इम्तियाज़ अली की 'जब वी मेट 'रोमांटिक कॉमेडी है.चवन्नी गारंटी लेता है की इस फिल्म पर खर्च किया आप का एक भी पैसा फिजूल नही जायेगा.हंसने,खुश होने और राहत महसूस करेंगे आप यह फिल्म देख कर.दीवाली के पहले की छुट्टी या रविवार को पूरे परिवार के साथ भी आप यह फिल्म देख सकते हैं.इस फिल्म की खूबियों के बारे में आप बताएं.चवन्नी की राय में शहीद कपूर और करीना कपूर की जोड़ी को इतने रोमांटिक अंदाज़ में पहले नही देखा.इम्तियाज़ अली की पीठ थपथपाप्यें और छोटे शहरों से आये निर्देशकों को बढावा दें तो और भी ऐसी

शुक्रवार,१९ अक्टूबर,2007

फिर से आया शुक्रवार ... आज रिलीज हो रही फिल्मों में स्पीड और बाल गणेश का उल्लेख किया जा सकता है.बाल गणेश एनीमेशन फिल्म है और बच्चों को ध्यान में रख कर बनायीं गयी है.गणेश पर एक और एनीमेशन फिल्म आ चुकी है.अब चूंकि अपने देश में एनीमेशन फिल्में अभी घुटनों के बाल चल रही हैं तो चवन्नी ज्यादा उम्मीद नही रखता और न चाहता है कि आप ही कोई उम्मीद रखें. स्पीड विक्रम भट्ट की फिल्म है.विक्रम भट्ट पिछली कुछ फिल्मों से दर्शकों को पसंद नही आ रहे हैं.हो सकता है इस बार कोई चमत्कार हो जाये.चवन्नी चमत्कार की बात इसलिए कर रहा है कि फिल्म की कहानी और कलाकारों की सूची देख कर अधिक उम्मीद नही की जा सकती.यह फिल्म लंदन की पृष्ठभूमि पर बनी है.रहस्य,रोमांस, कर्तव्य और प्रेम की यह कहानी पसंद आ जाये तो विक्रम भट्ट का भला हो जाये. पिछले हफ्ते करीना और सैफ के प्रेम संबंधो की खूब चर्चा रही.इस पूरे प्रसंग में मजेदार तथ्य है कि करीना या शहीद ने अभी तक यह नही कहा है कि उनके संबंध खत्म हो गए हैं.अगर यह खबर अफवाह निकली तो इस साल की सबसे बड़ी अफवाह होगी जो फिल्म के प्रचार के लिए इस्तेमाल की जा रही है.शहीद खामोश हैं.सैफ ने कहा ह

शुक्रवार,१२ अक्टूबर, 2007

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लो आ गया सुहाना शुक्रवार.आज प्रियदर्शन की फिल्म भूल भुलैया और प्रदीप सरकार की लागा चुनरी में दाग रिलीज हो रही हैं.प्रियदर्शन की फिल्म पहले तमिल और मलयालम में बन चुकी है और चवन्नी को किसी ने बताया कि दोनों भाषाओं में यह सफल भी रही थी.देखना है कि हिंदी में क्या हश्र होता है.चवन्नी को तो अजय ब्रह्मात्मज की समीक्षा का इंतज़ार है.वैसे इस बार प्रियदर्शन ने अक्षय कुमार,परेश रावल और राजपाल जैसे पालतू कलाकारों के साथ ही शाइनी आहूजा और विद्य बालन को जोडा है. विद्य बालन इधर आ गयीं और उधर अपने पहले निर्देशक प्रदीप सरकार की फिल्म लगा चुनरी में दाग छोड दी.इस फिल्म में दादा ने उन्हें कोंकणा का रोल दिया था.लगा चुनरी में दाग बनारस की पृष्ठभूमि पर बनी पारिवारिक फिल्म है.दो बहने हैं.बड़ी को परिवार की जिम्मेदारी संभालनी पड़ती है ताकि छोटी पढ़ाई कर सके.बड़ी ज़िन्दगी की अँधेरी गुफाओं में समां जाती है और फिर जब एक बार छोटी को उसकी सच्चाई कि जानकारी मिलती है तो उसे अपना वजूद सालने लगता है. दादा प्रदीप सरकार से उम्मीद है कि वे एक पारिवारिक फिल्म दिखायेंगे. इस हफ्ते शाहरुख़ खान ओम शांति ओम की टीम के साथ रैंप पर उ

शुक्रवार, 5 अक्तूबर, 2007

चवन्नी की सलाह मानें तो इस हफ्ते किसी नयी फिल्म को देखने का जोखिम न उठाएं. 'इट्स ब्रेकिंग न्यूज', 'गो', 'छोड़ो न यार'और '50 लाख' फिल्में रिलीज हुई है. इनमें से '50 लाख' चवन्नी ने नहीं देखी है, इसलिए उसके बारे में कुछ भी कहना गलत होगा. बाकी तीन औसत से कमजोर फिल्में हैं. रामू कैंप की 'गो' का तो गाना ही है . बैंड बजा दे. लगता है राम गोपाल वर्मा अपना और अपनी टीम का बैंड बजा कर ही रहेंगे. चवन्नी निराश है, लेकिन हताश नहीं है. चवन्नी को उम्मीद है कि रामू 'सरकार राज' से लौटेंगे. 'इट्स ब्रेकिंग न्यूज' तो अ।पके धैर्य को ब्रेक करने वाली फिल्म है. कोयल पुरी को अभिनय की अच्छी और पूरी ट्रेनिंग लेनी चाहिए और अपना हिंदी उच्चारण भी दुरूस्त करना चाहिए. 'छोड़ो न यार' का शीर्षक ही बता देता है कि उसे दर्शकों से क्या उम्मीद है. इस हफ्ते सुनील दत्त और नरगिस के जीवन पर लिखी नम्रता एवं प्रिया दत्त की लिखी किताब विमोचित हुई. बांद्रा के एक पंचसितारा होटल में अ।योजित इस कार्यक्रम में दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन, महेश भट्ट, संजय खान, सायरा बानो

शुक्रवार, 28 सितंबर, 2007

इस हफ्ते श्रीराम राघवन की 'जॉनी गद्दार' और मनीष तिवारी की 'दिल दोस्ती एट्सेट्रा' फिल्में रिलीज हो रही हैं. श्रीराम राघवन की पिछली फिल्म 'एक हसीना थी' चवन्नी ने देखी थी. उस फिल्म से ही लगा था कि श्रीराम राघवन में पॉपुलर सिनेमा और थ्रिलर की अच्छी समझ है. अ।पको याद होगा कि अपने छोटे नवाब के एटीट्यूड में भी इसी फिल्म से बदलाव अ।या था, जिसकी परिणति 'ओमकारा' के लंगड़ा त्यागी में हुई. एक्टर को एक्टिंग से परिचित कराने का काम समर्थ डायरेक्टर करते रहे हैं. हृषीकेष मुखर्जी, गुलजार, महेश भट्ट जैसे फिल्मकारों ने समय-समय पर एक्टरों को नयी छवि दी और उन्हें खिलने के नए अ।याम दिए. धर्मेंद्र, राजेश खन्ना, संजय दत्त, जीतेन्द्र, हेमामालिनी, डिंपल कपाड़िया अ।दि एक्टरों की फिल्मों से डायरेक्टर के योगदान के इस पहलू को चवन्नी ने समझा. बहरहाल, श्रीराम राघवन की 'जॉनी गद्दार' थ्रिलर फिल्म है. एक ऐसा थ्रिलर , जिसमें दर्शकों को मालूम है कि गद्दार कौन है? लेकिन दर्शक भी उसकी अगली हरकत से चौंकते हैं. कहते हैं, श्रीराम राघवन ने बेहद चुस्त फिल्म बनायी है. चवन्नी को अजय ब्र