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फिल्‍म समीक्षा : दबंग 2

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मसाले में गाढ़ा, स्वाद में फीका -अजय ब्रह्मात्मज अवधि-129 मिनट **1/2 ढाई स्टार पहली फिल्म की कामयाबी, धमाकेदार प्रचार, पॉपुलर गाने, प्रोमो से जगी जिज्ञासा और सब के ऊपर सलमान खान की मौजूदगी..अगर आप ने 'दबंग' देखी और पसंद की है तो 'दबंग 2' देखने की इच्छा करना लाजिमी है। यह अलग बात है कि इस बार मसाला गाढ़ा,लेकिन बेस्वाद है। पहली बार निर्देशक की जिम्मेदारी संभाल रहे अरबाज खान ने अपने बड़े भाई सलमान खान के परिचित अंदाज को फिर से पेश किया है। फिल्म में नवीनता इतनी है कि चुलबुल पांडे के अपने पिता प्रजापति पांडे और भाई मक्खीचंद से मधुर और आत्मीय रिश्ते हो गए हैं। इसकी वजह से एक्शन के दो दृश्य बढ़ गए हैं और इमोशन जगाने का बहाना मिल गया है। 'दबंग 2' में 'दबंग' की तुलना में एक्शन ज्यादा है। खलनायक बड़ा लगता है,लेकिन है नहीं। उसे चुनौती या मुसीबत के रूप में पेश ही नहीं किया गया है। सारी मेहनत सलमान खान के लिए की गई है। 'दबंग' की कहानी 'दबंग' से कमजोर है। सूरज को मुट्ठी में करने और कसने के जोश के साथ चुलबुल पांडे पर्दे पर आते
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कानपुर आ गए हैं चुलबुल पांडे-दिलीप शुक्ला -अजय ब्रह्मात्मज     1990 में सनी देओल की फिल्म ‘घायल’ से हिंदी फिल्मों के लेखन से जुड़े दिलीप शुक्ला ने इस बीच कई कामयाब और चर्चित फिल्में लिखी हैं। बीच में उन्होंने ‘हैलो हम लल्लन बोल रहे हैं’ फिल्म का निर्देशन भी किया। वहीं ‘गट्टू’ जैसी चिल्डे्रन फिल्म भी लिखी। एक अर्से के बाद ‘दबंग’ ने उन्हें फिर से चर्चा में ला दिया है। अब ‘दबंग 2’ आ रही है। अपने संवादों और किरदारों के देसी टच के लिए मशहूर दिलीप शुक्ला इन दिनों काफी डिमांड में हैं।     मूलत: लखनऊ निवासी दिलीप शुक्ला का कुछ समय कानपुर में भी गुजरा है। कानपुर में उनका ससुराल है और बहन की शादी भी कानपुर में हुई है। शुरू से कानपुर आते-जाते रहने और वहां के लोगों को भली-भांति समझने से दिलीप शुक्ला को चुलबुल पांडे जैसे किरदारों को पर्दे पर जीवित करना मुश्किल नहीं रहा। ‘दबंग 2’ में उन्होंने चुलबुल पांडे को कानपुर के बजरिया थाने का प्रभारी बना दिया है। वे कहते हैं, ‘इस बार चुलबुल पांडे कनपुरिया लहजे में बोलते नजर आएंगे। वे गाली और गोली तो नहीं चलाते, लेकिन अपनी बोली से ही घायल कर देते हैं।

रिश्तों से वजूद है चुलबुल पांडे का - सलमान खान

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-अजय ब्रह्मात्मज     सलमान खान की लोकप्रियता  का अंदाजा इस से भी लगाया जा सकता है कि वे मुंबई में जहां मौजूद रहें, उस इमारत के बाहर खबर लगते ही भीड़ लगने लगती है। मुंबई में बाकी स्टार भी हैं, लेकिन उनके साथ हमेशा ऐसा नहीं होता। भाई (मुंबई और इंडस्ट्री में सभी उन्हें इसी नाम से बुलाते हैं) की एक झलक पाने के लिए बेचैन इस भीड़ को उनकी एक मुस्कान या हाथ हिलाने से ही सुकून मिल जाता है। बहरहाल, ‘दबंग 2’ की रिलीज के ठीक पहले हुई उनसे हुई बातचीत ... -  क्या कहेंगे ‘दबंग 2’ के बारे में? 0 ‘दबंग’ और ‘दबंग 2’ एक ही फिल्म है। पहली फिल्म फस्र्ट हाफ थी, यह सकेंड हाफ हे। बड़ी जगह,  बड़ा विलेन, बड़ा एक्शन और हीरोइज्म ...हमने तगड़ी नजर रखी है कि यह ओवर बोर्ड न चली जाए। चुलबुल पांडे अपना ही कैरीकेचर न बन जाए। इस बार चुलबुल पांडे के इनहेरेंट हयूमर पर ज्यादा प्ले नहीं किया है। उसकी रियल लाइफ क्वालिटी को सुपर हीरो में नहीं बदलना था। फर्स्‍ट दबंग में चुलबुल पांडे के साथ अनेक परेशानियां थी। सेकेंड दबंग में सब ठीक हो गया है। भाई से सुलह हो गई है, पिता से सहज हो गए हैं चुलबुल और उनकी शादी हो चुकी है। ऐ

सोनाक्षी सिन्‍हा से अजय ब्रह्मात्‍मज की बातचीत

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-अजय ब्रह्मात्मज     एक ‘जोकर’ को भूल जाएं तो सोनाक्षी की अभी तक रिलीज हुई हर फिल्म ने बाक्स आफिस पर अच्छी कमाई की है। ‘दबंग’, ‘राउडी राठौड़’ और ‘सन ऑफ सरदार’ इन तीनों फिल्मों ने 100 करोड़ से अधिक का कारोबार किया। अब उनकी ‘दबंग 2’ आ रही है। इस फिल्म के वितरण अधिकार ही 180 करोड़ में बेचे गए हैं। इसकी कामयाबी भी सुनिश्चित है। लगातार सफल फिल्में दे रही सोनाक्षी सिन्हा सफलता के नए अध्याय लिख रही हैं। इस कामयाबी के बावजूद शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी सोनाक्षी सिन्हा में गुरूर नहीं आया है। वह अब भी पहली फिल्म के समय की की तरह सहज, चुलबुली और सामान्य हैं। दिन हो या रात मुंबई हो या बंगाल  ़ ़ ़ हर समय हर जगह अपनी फिल्मों की शूटिंग में मशगूल सोनाक्षी अपनी आगे-पीछे की पीढ़ी की हीरोइनों के लिए ईष्र्या का कारण बन गई हैं। पिछले दिनों ‘वन्स अपऑन अ टाइम इन मुंबई 2’ की शूटिंग के दरम्यान उन से कुछ बातें हुईं। - एक और कामयाबी ़ ़ ़ सारी आशंकाओं के बावजूद ‘सन ऑफ सरदार’ 100 करोड़ क्लब में आ ही गई। कैसा महसूस कर रही हैं? 0 हम सभी ने बहुत मेहनत और दिल लगा कर काम किया था। ‘सन ऑफ सरदार’ के लिए फिल्म इंडस्ट्री

दबंग 2 की धमक

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;अजय ब्रह्मात्‍मज सलमान खान की 'दबंग 2' 21 दिसंबर को रिलीज होगी। इसके निर्माता-निर्देशक उनके भाई अरबाज खान हैं, लेकिन 'दबंग 2' शुरू से आखिर तक सलमान खान की ही फिल्म रहेगी। अभी की स्थिति में आमिर खान, सलमान खान, शाहरुख खान, अजय देवगन और अक्षय कुमार की फिल्मों का निर्देशक गौण हो जाता है। इन स्टारों का स्टार पॉवर इतना तगड़ा और जोरदार है कि दर्शक परवाह नहीं करते। उन्हें निर्देशकों के नाम और उनके पुराने काम की सुध नहीं रहती। उनके लिए स्टार ही काफी होता है। अपना चहेता स्टार..। स्टारडम और स्टार पॉवर की बात करें, तो अभी सलमान की टक्कर में कोई नहीं है। 'वांटेड' के बाद निरंतर सफलता का स्वाद चख रहे सलमान खान पर दर्शकों की मेहरबानी बनी हुई है। उनकी नई फिल्मों का निर्देशक कोई भी हो, नाम उन्हीं की दांव पर लगता है। 'दबंग 2' के मामले में यह दांव कुछ बड़ा और जोखिमपूर्ण हो गया है। 'दबंग' के लगभग दो साल बाद आ रही 'दबंग 2' के रिस्क फैक्टर की बात करें, तो सबसे पहला जोखिम अरबाज खान का निर्देशक बनना है। पहली 'दबंग' के निर्माता अरबाज

जूनियर शॉटगन सोनाक्षी सिन्हा

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- अजय ब्रह्मात्मज अभिनव सिंह कश्यप की फिल्म दबंग से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में दमदार दस्तक दे चुकी सोनाक्षी सिन्हा की दूसरी फिल्म अभी तक नहीं आई है। 10 सितंबर 2010 को रिलीज हुई दबंग ने कई मायने में इतिहास रचा और सोनाक्षी की जगह फिल्म इंडस्ट्री में पक्की कर दी। उन्हें कई पुरस्कार मिले और कंज्यूमर प्रोडक्ट के विज्ञापन भी। कुछ फिल्में भी मिलीं , लेकिन उनके निर्माण में ही पिछला साल निकल गया। 2011 में सोनाक्षी ने सिनेमाघरों में दर्शकों को दर्शन नहीं दिया। हल्की फुसफुसाहट भी सुनने को मिली कि कहीं सोनाक्षी वन फिल्म वंडर तो नहीं हैं। शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी पर सभी की नजर है। स्टारपुत्र और पुत्रियों को खारिज करने के लिए आलोचकों का एक समूह डटा रहता है। अपनी दूसरी-तीसरी फिल्मों में सोनाक्षी को ऐसी कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ेगा। अभी की बात करें तो सोनाक्षी अपनी फिल्मों के चक्कर में देश के विभिन्न शहरों के दौरे कर रही हैं। कभी बादामी तो कभी डलहौजी , कभी पटियाला तो कभी कोलकाता , हंपी और मुंबई... चार फिल्मों की शूटिंग की तारीखों और किरदारों को संभालने के साथ देश के भिन्न इलाकों में लगे से