सत्यमेव जयते-12 : हाथ से फिसलते हालात-आमिर खान
जब मानव अंतरिक्ष के बाहर जीवन के लक्षणों की तलाश करता है तो सबसे पहले क्या देखता है? वह देखता है जल का अस्तित्व। किसी भी ग्रह में जल की उपस्थिति से यह संकेत मिलता है कि वहां जीवन संभव है। जाहिर है कि जल का अर्थ जीवन है और जीवन का अर्थ जल। हमारी पृथ्वी का 70 प्रतिशत भाग जल में डूबा है, लेकिन इस जल का अधिकांश हिस्सा खारा है। 97 प्रतिशत जल समुद्र के रूप में है, जो पीने के योग्य नहीं है। शेष तीन प्रतिशत जल ही मीठा है, जो बर्फ के रूप में है। दूसरे शब्दों में कहें तो मात्र एक प्रतिशत जल ही सात अरब की मानव आबादी के लिए पेयजल के रूप में उपलब्ध है। केवल मानव आबादी ही नहीं, बल्कि सभी जीव-जंतुओं के लिए भी यही जल जीने का सहारा है। भारत के बारे में यह माना जाता है कि यहां पानी पर्याप्त मात्र में उपलब्ध है। इसका अर्थ है कि हम जितना चाहें उतना पानी हासिल कर सकते हैं, लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू भी है कि प्रति वर्ष पानी की यह उपलब्धता घटती जा रही है। अब लगभग पूरे देश में जल संकट की आहट महसूस की जाने लगी है। एक अनुमान के अनुसार ग्रामीण भारत में रहने वाली एक महिला को पानी हासिल करने के