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फिल्‍म समीक्षा : अलोन

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-अजय ब्रह़मात्‍मज  डरावनी फिल्मों का भी एक फॉर्मूला बन गया है। डर के साथ सेक्स और म्यूजिक मिला कर उसे रोचक बनाने की कोशिश की जारी है। भूषण पटेल की 'अलोन' में डर, सेक्स और म्यूजिक के अलावा सस्पेंस भी है। इस सस्पेंस की वजह से फिल्म अलग किस्म से रोचक हो गई है। हिंदी फिल्मों में अक्सर दिखाया जाता है कि प्रेम के लिए कुछ लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं। कई बार हद टूटने पर बड़ी डरावनी स्थितियां पैदा हो जाती हैं। 'अलोन' ऐसे ही उत्कट प्रेम की डरावनी कहानी है। संजना और अंजना सियामी जुडवां बहनें हैं। जन्म से दोनों का शरीर जुड़ा है। दोनों बहनों को लगता है कि कबीर उनसे प्रेम करता है। लंबे समय के बाद उसके आने की खबर मिलती है तो उनमें से एक एयरपोर्ट जाना चाहती है। दूसरी इस से सहमत नहीं होती। कबीर के जाने के समय भी एक की असहमति की वजह से दूसरी नहीं जा सकी थी। इस बार दूसरी तय करती है कि वह एयरपोर्ट जरूर जाएगी। भले ही इसके लिए उसे अपनी जुड़वां बहन से अलग होना पड़े। इस ऊहापोह में एक हादसा होता है और एक बहन की जान चली जाती है। अब अकेली बहन बची है। हम नहीं बताना चाहेंगे

डराना सबको नहीं आता: बिपाशा बसु

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-अजय ब्रह्मात्‍मज भूषण पटेल की फिल्म ‘अलोन’ के ट्रेलर, गाने और दृश्यों की सोशल मीडिया पर बहुत तारीफ हो रही है। इस फिल्म  का ट्रेलर आने के साथ बिपाशा के समकालीन कलाकारों ने आगे बढक़र उनकी तारीफ की और फिल्म के बारे में ट्विट किया। हाल-फिलहाल में किसी हीरोइन की फिल्म को ऐसी प्रशंसा नहीं मिली है। फिल्म इंडस्ट्री के इस रवैये से बिपाशा खुश हैं। उन्हें लगता है कि यह फिल्म दर्शकों को भी वैसी ही पसंद आएगी। वह बताती हैं, ‘अभिषेक, शाह रुख और दूसरे सभी दोस्तों ने ‘अलोन’ का ट्रेलर देखने के बात एक ही बात लिखी कि अब बिपाशा से ‘अलोन’ नहीं मिलना है। उनकी इस तारीफ से मैं बहुत उत्साहित हूं। मैंने अपने दोस्तों से कहा भी अगर सभी ने अकेले में मुझसे मिलना बंद कर दिया तो मैं बहुत अकेली हो जाऊंगी। मुझे खुशी है कि यह ट्रेलर आम दर्शकों से लेकर मेरे आस पास के लोगों तक पसंद किया जा रहा है। सभी जानते हैं कि हॉरर फिल्मों के सीमित दर्शक होते हैं, लेकिन इस बार लग रहा है कि ‘अलोन’ पहले की सारी सीमाएं तोड़ देगी। अगर यह फिल्म ढंग से चल जाए तो हॉरर फिल्मों के लिए बड़ा कदम होगा। हॉरर जॉनर के लिए बहुत अच्छी बात होगी।’

फिल्‍म समीक्षा : क्रीचर

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-अजय ब्रह्माात्‍मज    एक जंगल है। आहना अपने अतीत से पीछा छुड़ा कर उस जंगल में आती है और एक नया बिजनेस आरंभ करती है। उसने एक बुटीक होटल खोला है। उसे उम्मीद है कि प्रकृति के बीच फुर्सत के समय गुजारने के लिए मेहमान आएंगे और उसका होटल गुलजार हो जाएगा। निजी देख-रेख में वह अपने होटल को सुंदर और व्यवस्थित रूप देती है। उसे नहीं मालूम कि सकी योजनाओं को कोई ग्रस भी सकता है। होटल के उद्घाटन के पहले से ही इसके लक्षण नजर आने लगते हैं। शुरु से ही खौफ मंडराने लगता है। विक्रम भट्ट आनी सीमाओं में डर और खौफ से संबंधित फिल्में बनाते रहे हैं। उनमें से कुछ दर्शकों को पसंद आई हैं। इन दिनों विक्रम भट्ट इस जोनर में कुछ नया करने की कोशिश में लगे हैं। इसी कोशिश का नतीजा है क्रीचर। विक्रम भट्ट ने देश में उपलब्ध तकनीक और प्रतिभा के उपयोग से 3डी और वीएफएक्स के जरिए ब्रह्मराक्षस तैयार किया है। उन्होंने इसके पहले भी अपनी फिल्मों में भारतीय मिथकों का इस्तेमाल किया है। इस बार उन्होंने ब्रह्मराक्षस की अवधारणा से प्रेरणा ली है। ब्रह्मराक्षस का उल्लेख गीता और अन्य ग्रंथों में मिलता है। हिंदी के विख

फिल्‍म समीक्षा : राज 3

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  डर के आगे मोहब्बत है   -अजय ब्रह्मात्मज      अच्छी बात है कि इस बार विक्रम भट्ट ने 3डी के जादुई प्रभाव को दिखाने के बजाए एक भावनापूर्ण कहानी चुनी है। इस कहानी में छल-कपट, ईष्र्या, घृणा, बदला और मोहब्बत के साथ काला जादू है। काला जादू के बहाने विक्रम भट्ट ने डर क्रिएट किया है, लेकिन दो प्रेमी (खासकर हीरो) डर से आगे निकल कर मोहब्बत हासिल करता है। कल तक टॉप पर रही फिल्म स्टार सनाया शेखर अपने स्थान से फिसल चुकी हैं। संजना कृष्ण पिछले दो साल से बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड ले रही हैं। सनाया किसी भी तरह अपनी खोई हुई पोजीशन हासिल करना चाहती है। पहले तो भगवान और मंत्र के जरिए वह यह कोशिश करती है। सफल नहीं होने पर वह काला जादू और तंत्र के चक्कर में आ जाती है। काला जादू राज-3 में एक तरकीब है डर पैदा करने का, खौफ बढ़ाने का। काला जादू के असर और डर से पैदा खौफनाक और अविश्वसनीय दृश्यों को छोड़ दें, तो यह प्रेमत्रिकोण की भावनात्मक कहानी है। फिसलती और उभरती दो अभिनेत्रियों के बीच फंसा हुआ है निर्देशक आदित्य अरोड़ा। वह सनाया के एहसानों तले दबा है। वह पहले तो उसकी मदद करता है, लेक

दो तस्‍वीरें : बिपाशा बसु

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बिपाशा बसु की दोनों तस्‍वीरें राज 3 से ली गई हैं। इस पफल्‍म में वह ढलती उम्र की अभिनेत्री की भूमिका में हैं। कहते हैं कि विक्रम भट्ट ने उनका किरदार अमीषा पटेल से प्रेरित होकर गढ़ा है। कभी अमीषा और विक्रम गहरे दोस्‍त थे।

फिल्‍म समीक्षा : जोड़ी ब्रेकर्स

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-अजय ब्रह्मात्‍मज हाल-फिलहाल में किसी हिंदी फिल्म में ऐसा सामान्य हीरो नहीं दिखा है। अश्रि्वनी चौधरी ने आर माधवन का नायक की भूमिका देकर जोखिम और साहस का काम किया है। आर माधवन ने अश्रि्वनी की दी हुई चुनौती को स्वीकार किया है और गानों से लेर रोमांटिक और चुंबन दृश्यों तक में भी नार्मल रहने और दिखने की कोशिश की है। कुंआरा गीत में उनकी मेहनत दिखाई पड़ती है। फिल्म में उनकी जोड़ी बिपाशा बसु के साथ बनाई गई है। हॉट बिपाशा बसु जोड़ी ब्रेकर्स के कुछ दृश्यों में बेहद सुंदर लगी है। अपने नाम पर बने गीत में वह जरूरत के मुताबिक देह दर्शन करवाने में भी नहीं झेंपती हैं। अश्रि्वनी चौधरी ने एक अनोखे विषय पर रोमांटिक ड्रामा तैयार किया है। हिंदी फिल्मों में धूप से शुरुआत करने के बाद अश्रि्वनी चौधरी ने अगली फिल्म से राह बदल ली। उन्होंने हिंदी की मसाला फिल्मों की लंबी और भीड़ भरी राह चुनी है। अपनी सोच,संवेदना और राजनीतिक समझ को किनारे रख कर वे मेनस्ट्रीम हिंदी सिनेमा में अपनी पहचान खोज रहे हैं। उनके चुनाव से कोई गुरेज नहीं है। पिछली कुछ फिल्मों के असफल प्रयास के बाद वह जोड़ी ब्रेकर्स में यह साबित कर देते हैं

फेमिनिस्ट नहीं,इंडेपेंडेंट हूं मैं- बिपाशा बसु

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- अजय ब्रह्मात्मज प्यार की परिभाषा सिखाने के लिए बिपाशा बसु को कई दिनों तक रिहर्सल करना पड़ा और ' जोड़ी ब्रेकर्स' के इस गाने की शूटिंग के समय अपने खास कॉस्ट्यूम के कारण घंटों स्टूल पर बैठना पड़ा। यह गाना हॉट किस्म का है और इसमें बिपाशा के नाम का इस्तेमाल किया गया है। अपने नाम के गीत की अनुमति देने से पहले बिपाशा बसु बिदक गई थीं। उन्होंने के निर्देशक अश्विनी चौधरी के प्रस्ताव को सीधे ठुकरा दिया था। अश्विनी चौधरी भी जिद्द पर अड़े थे। उन्होंने गाना तैयार किया। गीत सुनाने के साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि वे इसे किस तरह शूट करेंगे। अश्विनी चौधरी ने आखिरकार उन्हें राजी कर लिया। ' जोड़ी ब्रेकर्स' का यह गीत पॉपुलैरिटी चार्ट पर आ चुका है। बिपाशा बसु ने इस खास मुलाकात में इस गाने का का जिक्र सबसे पहले आ गया। हल्की मुस्कराहट के साथ बधाई स्वीकार करने के बाद उन्होंने उल्टा सवाल किया कि क्या अच्छा लगा ? हॉट बिपाशा पर इस हॉट गीत को उत्तेजक मुद्राओं में शूट किया गया है। पर्दे पर सेक्सुएलिटी को प्रदर्शित करना भी एक कला है , क्योंकि हल्की सी फिसलन या उत्तेजना से वह व

ऑन स्क्रीन,ऑफ स्क्रीन : बिंदास और पारदर्शी बिपाशा बसु

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- अजय ब्रह्मात्मज संबंधों और अपने स्टेटस में पारदर्शिता के लिए मशहूर बिपाशा बसु आजकल नो कमेंट या चुप्पी के मूड में हैं। वजह पूछने पर कहती हैं, पूछे गए सारे सवालों का एक ही सार होता है कि क्या जॉन और मेरे बीच अनबन हो गई है? शुरू से ही अपने संबंधों को लेकर मैं स्पष्ट रही हूं। अब उसी स्पष्टता से दिए गए जवाब लोगों को स्वीकार नहीं हैं। उन्हें तो वही जवाब चाहिए, जो वे सोच रहे हैं या कयास लगा रहे हैं। मुझे यकीन है कि फिल्म रिलीज होगी और तमाम अफवाहें ठंडी हो जाएंगी। बेहतर है कि मैं अपने काम पर ही ध्यान दूं। अफवाहों की परवाह नहीं दरअसल, पिछले महीने फिल्म दम मारो दम के अभिनेता राणा दगुबट्टी के साथ उनकी अंतरंगता की चर्चा रही। मुमकिन है, किसी पीआर एक्जीक्यूटिव ने फिल्म के दौरान बने नए रिश्ते के पुराने फॉम्र्युले का इस्तेमाल किया हो और वह फिर से कारगर हो गया हो। हिंदी फिल्मों में रिलीज के समय प्रेम और अंतरंगता की अफवाहें फैलाई जाती हैं। सच्चाई पूछने पर बिपाशा स्पष्ट करती हैं, युवा अभिनेताओं के साथ काम करते समय मेरी कोशिश रहती है कि वे झिझकें नहीं। इसके लिए जरूरी है कि उनसे समान स्तर पर दोस्ती की जा

फिल्‍म समीक्षा : आक्रोश

ऑनर किलिंग पर उत्तर भारत की पृष्ठभूमि पर बन रही आक्रोश की दक्षिण भारत में चल रही शूटिंग की खबर ने ही चौंकाया था कि क्या कोई फिल्मकार इस असंगत प्रयास के बावजूद सफल हो सकता है? फिल्म को रियल और विश्वसनीय टच देने की सबसे बड़ी चुनौती होती है कि वह परिवेश, वेशभूषा और भाषा में समय और स्थान विशेष को सही ढग से चित्रित करे। प्रियदर्शन ने विषय तो प्रासंगिक चुना, लेकिन उसकी प्रस्तुति में अप्रासंगिक और बेढब हो गए। आक्रोश का परिवेश कहानी का साथ नहीं देता। प्रियदर्शन को कांजीवरम के लिए नेशनल अवार्ड मिल चुका है और वे कामेडी फिल्मों के सफल निर्देशक हैं। कामेडी, कॉमर्स और कंटेंट के बीच वे आसानी से घूमते रहते हैं, लेकिन आक्रोश में उनकी क्रिएटिव कोताही साफ नजर आती है। कहानी बिहार के एक अजीब काल्पनिक स्थान की है, जो गांव, कस्बा और शहर का मिश्रण है। वहां पुलिस विभाग के आईजी और कलक्टर रहते हैं। भूतपूर्व एमएलए सुकुल वहां के बाहुबली हैं, लेकिन अजातशत्रु नामक पुलिस अधिकारी अपने आईजी और बाहुबली से भी ज्यादा खास किरदार है। प्रियदर्शन कथा के परिवेश और पात्रों को गढ़ने में पूरी तरह से चूक गए हैं, जिसकी वजह से फिल्

बिंदास बिपाशा बसु

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बिपाशा बसु से चवन्नी की चंद मुलाकातें हैं. सब से पहले एतबार के सेट पर मुलाकात हुई थी और खूब लंबी बात हुई थी.बिपाशा की कही बातें चवन्नी अभी तक नहीं भूल सका है.अरे भूल गया पहली मुलाकात तो बांद्रा के एक फ्लैट में हुई थी,जहां वह पेइंग गेस्ट के तौर पर रहती थी.फिल्मों में आए अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ था.बांद्रा में महबूब स्टूडियो की पीछे की गलियों में एक छोटे फ्लैट में उसने डेरा डाला था.तब उसकी अजनबी पूरी हो गयी थी.करीना कपूर ने कुछ उल्टा-सीधा बोल दिया था. अपनी करीना न ...चवन्नी को दिल की साफ लगती है.उसे जो समझ में आता है...बोल देती है.उसकी बातें जाहिर है उसकी समझ से तय होती हैं.कपूर खानदान की टूटे परिवार की लड़की की सोच की कल्पना चवन्नी कर सकता है.एक बातचीत में उसने चवन्नी को बताया था कि वह रोल पाने के लिए किसी डायरेक्टर के घर जाकर खाना नहीं बनाती या शॉपिंग पर नहीं जाती.अरे...रे..रे.. चवन्नी क्या बताने लगा.वैसे रोल हथियाने और पाने के लिए लड़कियां क्या -क्या करती हैं...इस पर कभी अलग से चवन्नी लिखेगा. तो बात हो रही थी बिपाशा की.बिपाशा छोटी उम्र में ही दुनियादार हो गयी.वह खुद मुंबई आयी और उसने