फिल्म समीक्षा : स्ट्राइकर
स्लम लाइफ पर बनी वास्तविक फिल्म -अजय ब्रह्मात्मज चंदन अरोड़ा की स्ट्राइकर में प्रेम, अपराध, हिंसा और स्लम की जिंदगी है। सूर्या इस स्लम का युवक है, जो अपने फैसलों और विवेक से अपराध की परिधि पर घूमने और स्वाभाविक मजबूरियों के बावजूद परिस्थितियों के आगे घुटने नहीं टेकता। वह मुंबई की मलिन बस्ती का नायक है। हिंदी फिल्मों में मुंबइया निर्देशकों ने ऐसे चरित्रों से परहेज किया है। मलिन बस्तियों के जीवन में ज्यादातर दुख-तकलीफ और हिंसा-अपराध दिखाने की प्रवृति रही है। स्ट्राइकर इस लिहाज से भी अलग है। सूर्या मुंबई के मालवणी स्लम का निवासी है। उसका परिवार मुंबई के ंिकसी और इलाके से आकर यहां बसा है। बचपन से अपने भाई की तरह कैरम का शौकीन सूर्या बाद में चैंपियन खेली बन जाता है। कैरम के स्ट्राइकर पर उसकी उंगलियां ऐसी सधी हुई हैं वह अमूमन स्टार्ट टू फिनिश गेम खेलता है। स्थानीय अपराधी सरगना जलील उसका इस्तेमाल करना चाहता है,लेकिन सूर्या उसके प्रलोभन और दबावों में नहीं आता। सूर्या की जाएद से दोस्ती है। सूर्या कमाई के लिए छोटे-मोटे अपराध करने में नहीं हिचकता। दोनों दोस्त एक-दूसरे की मदद किया करते ह