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दरअसल : पद्म पुरस्कारों का छद्म

-अजय ब्रह्मात्‍मज सवाल उठ रहा है कि क्या सैफ अली खान को अभी पद्मश्री से सम्मानित करना उचित है, जबकि फिल्म इंडस्ट्री के अनेक सीनियर अभी तक पद्म सम्मानों से वंचित हैं। एक्टिंग के क्षेत्र में ही सैफ से अधिक योगदान कर चुके कलाकारों की लंबी फेहरिस्त बनाई जा सकती है। उन्हें क्यों इस सम्मान से दूर रखा गया है? मुमकिन है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों और स्वयं मंत्री के पास इसके जवाब हों, लेकिन आम नागरिकों की बात करें, तो वे इस तुक और तर्क को नहीं समझ पाते। उन्हें लगता है कि यह किसी जोड़-तोड़ का खेल है, एक छद्म है, जिसमें सत्ता के करीब बैठे या गलियारे में भटकते लोगों का प्रभाव काम करता है। सभी प्रदेश की सरकार, केंद्र शासित प्रशासन और विभिन्न संगठनों से भेजे गए नामों पर गृह मंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की संस्तुति के बाद पद्म पुरस्कारों की अंतिम सूची तय होती है। इस प्रक्रिया से स्पष्ट है कि सत्ताधारी पार्टी और उसके नुमाइंदों की सिफारिश से पद्म पुरस्कारों के काबिल हस्तियों की सूची बनती है। जाहिर सी बात है कि विरोधी पार्टियों के करीबी लोगों को पुरस्कार के योग्य नहीं माना जाता। म