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फिल्म समीक्षा : काला करिकालन

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फिल्म समीक्षा  लिए लुकाठी हाथ  काला करिकालन  -अजय ब्रह्मात्मज  'पा रंजीत निर्देशित 'काला करिकालन' के क्लाइमेक्स के ठीक पहले के दृश्यों में दो बार रजनीकांत हाथ में लुकाठी लिए माफिया को चुनौती देने के अंदाज में धारावी में खड़े दिखते हैं। पृष्ठभूमि में आग लगी हुई है।  सब कुछ धू-धू कर जल रहा है। यह आग बस्ती खाली करवाने के लिए हरि दादा (नाना पाटेकर) ने लगवाई है। फिल्म झोंपड़पट्टी और लैंड माफिया की परिचित कहानी पर है,लेकिन पा रंजीत के दृश्यबंध और संवाद इसे पहले की फिल्मों से अलग और विशेष बना देते हैं। उन्होंने राम और रावण के रूपक का फिल्म में इस्तेमाल किया है।  दक्षिण के ही निर्देशक मणि रत्नम ने 'रावण' में रामायण के मिथक का अलग चित्रांकन किया था।  रंजीत के रूपक में उनकी पक्षधरता स्पष्ट प्रतीकों में नज़र आती है।   'ज़मीन.... मानव सभ्यता के विकास में ज़मीन की अहम् भूमिका रही है। जैसे-जैसे सभ्यता की विकास हुआ,अपनी फसल उपजाने के लिए जंगलों को काट कर उस ज़मीन को खेती करने के लायक बनाया। उसे अपने चेतना का मूल हिस्सा बनाया। उसकी मेहनत से ज़मीन को भगवन का दर्जा मिल

फिल्‍म समीक्षा : कोचडयान

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तकनीक और टैलेंट का उपयोग -अजय ब्रह्मात्मज     चेन्नई, हैदराबाद और मुंबई ़ ़ ़ फिल्म निर्माण के हर केंद्र में मसाला एंटरटेनमेंट पर जोर है। अगर आप के पास पापुलर स्टार हैं तो किसी प्रकार के प्रयोग की जरूरत ही नहीं महसूस होती। रजनीकांत की बेटी सौंदर्या आर अश्विन ने ‘कोचडयान’ में इस सुरक्षा कवच को तोड़ दिया है। उन्होंने परफारमेंस कैप्चरिंग तकनीक में सुपरस्टार रजनीकांत को लेकर ‘कोचडयान’ का निर्देशन किया है। यहां रजनीकांत अपने अंदाज और स्टाइल में हैं,लेकिन एनिमेटेड रूप में। धैर्य, मेहनत और सोच से बनाई गई यह फिल्म भारतीय फिल्मों के इतिहास में एक नई पहल है। पहली कोशिश की हिम्मत की तारीफ होनी ही चाहिए। सौंदर्या ने ‘कोचडयान’ में तकनीक और टैलेंट का सही उपयोग किया है।     सौंदर्या आर अश्विन ने स्पष्ट किया था कि यह एक काल्पनिक कहानी है। कोचडयान और उनके बेटों राणा और धर्मा को लेकर गुंथी हुई कहानी में राष्ट्रप्रेम और प्रजाहित पर जोर दिया गया है। परिवेश के मुताबिक दो राष्ट्रों कलिंगपुर और कोट्टायपट्टनम के द्वेष और कलह के बीच राणा के योद्धा व्यक्तित्व,राजनीति और राष्ट्रप्रेम को भव्य तरीके से चित्र

मैं स्वयं पापा की फैन हूं - सौंदर्या आर अश्विन

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-अजय ब्रह्मात्मज     रजनीकांत की नई फिल्म ‘कोचडयान’ की निर्देशक उनकी बेटी सौंदर्या आर अश्विन हैं। शुरू से ही सौंदर्या की अभिरुचि कॉमिक्स, ग्राफिक्स और एनीमेशन में रही। बचपन में अमर िचत्र कथा उनकी प्रिय सीरिज रही। बेटी की रुचि का ध्यान रखते हुए रजनीकांत ने सौंदर्या को प्रोत्साहित किया। नतीजा सामने है। रजनीकांत की प्रायोगिक महात्वाकांक्षी फिल्म ‘कोचडयान’ का उन्होंने निर्देशन किया। परफारमेंस कैप्चरिंग टेकनीक में बनी यह भारत की पहली फिल्म है। सौंदर्या के इस प्रयास की अमिताभ बच्चन ने भी तारीफ की है। पिछले दिनों सौंदर्या मुंबई में थीं। ‘कोचडयान’ हिंदी और भोजपुरी में भी रिलीज होगी। - ‘कोचडयान’ का अर्थ क्या है? 0 को का मतलब राजा और चडयान मतलब लंबे बाल। ‘कोचडयान’ का अर्थ हुआ लंबे बाल वालों का राजा। ‘कोचडयान’ भगवान शिव का अनुयायी है। वह शिव के विध्वंसक रूप में यकीन रखता है। फिल्म में वह तांडव नृत्य भी करता है। - फिल्म की थीम क्या है? क्या ‘कोचडयान’ मिथकीय चरित्र है? 0 नहीं, यह पूरी तरह से काल्पनिक कहानी है। यह ‘राणा’ का प्रीक्वल है। कोडयान राणा का पिता है। कोचडयान सिद्ध राजा,नर्तक और योद्धा

मुंबई आए रजनीकांत

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मुंबई आए रजनीकांत तमिल, तेलुगू और हिंदी तीनों ही भाषाओं में मणि शंकर निर्देशित रजनीकांत की रोबोट दर्शकों को भा रही है। पिछली फिल्म शिवाजी के बाद रजनीकांत के दर्शकों में भारी इजाफा हुआ है। अब वे केवल तमिल तक सीमित नहीं रह गए हैं। निश्चित रूप से भारतीय फिल्म स्टारों की अग्रिम पंक्ति में खड़े रजनीकांत को सभी भाषाओं के दर्शक देखना चाहते हैं। मुझे लगता है कि जिन भाषाओं में उनकी फिल्म डब नहीं हुई है और जो दर्शक तमिल, तेलुगू और हिंदी नहीं जानते, वे किस कदर 21वीं सदी के इस फेनोमेना से वंचित हैं। पॉपुलर कल्चर के अध्येताओं को रजनीकांत की लोकप्रियता के कारणों पर शोध और विमर्श करना चाहिए कि आखिर कैसे 61 साल का बुजुर्ग अभिनेता किसी भी जवान स्टार से अधिक लोकप्रिय हो गया? पिछले हफ्ते रजनीकांत मुंबई आए। यहां उन्होंने अपनी फिल्म का विशेष शो रखा था, जिसमें हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की सभी हस्तियों को आमंत्रित किया गया था। आमिर खान और अमिताभ बच्चन समेत सभी उनसे मिलने और उनकी फिल्म देखने गए और अभिभूत होकर लौटे। दक्षिण के इस स्टार का जादू मुंबई के स्टारों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। खुद को नेशनल स्टार समझने वाले