सुशांत सिंह:अक्षत प्रतिभा
सत्या के पकिया ,कौन के चोर और जंगल के दुर्गाशंकर चौधरी...इन तीन फिल्मों के बाद ही दर्शकों ने सुशांत सिंह को पहचान लिया था.फिल्म इंडस्ट्री ने तो पहली ही फिल्म सत्या में महसूस कर लिया था कि एक प्रतिभा आ चुकी है.राम गोपाल वर्मा उन दिनों जिस ऐक्टर को छू देते थे उसे फिल्म इंडस्ट्री स्वीकार कर लेती थी.सुशांत सिंह के बारे में भी माना जा रहा था कि जंगल के बाद उनके पास काम की कमी नहीं रहेगी.संयोग कुछ ऐसा बना कि जंगल से फरदीन खान का कैरीअर तो सही ट्रैक पर आ गया,लेकिन जिसके बारे में उम्मीद की जा रही थी,उसे लोगों ने नज़रअंदाज कर दिया.चवन्नी को याद है कि जंगल की छोटी भूमिका को लेकर ही राजपाल यादव कितने उत्साहित थे.उनके उत्साह का असर ही था कि वे जल्दी ही मशहूर हो गए और अपनी एक जगह भी बना ली.आज वे पैसे और नाम के हिसाब से सुखी हैं,लेकिन काम के हिसाब से,,,?राजपाल ही सही-सही बता सकते हैं। अरे हम बात तो सुशांत सिंह की कर रहे थे.सुशांत को जंगल से झटका लगा होगा.यों कहें कि उनके पांव के नीचे की कालीन लेकर राजपाल यादव ले उड़े.सुशांत निराश भी हुए होंगे,लेकिन वे टूटे नहीं.चवन्नी की उनसे समय-समय पर मुलाक़ात होती