दस फीसदी भी नहीं दिया : मनोज बाजपेयी
![Image](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiqRc3t1244bstwSJhWsl1c-MpAH6qKLxGAhTAt_ugv7HLWdPu-rv_xtMIsz-ed-0I46BJIvS9HA7nbjZ6R4YrDW9b6XvwnFCDZQCETus3FrFq0Er7bxYp88b3OTeU0HreBIXllW97QS8Y/s320/manoj+bajpai+3+july+16.png)
-अमित कर्ण मनोज बाजपेयी के लिए साल 2016 इकट्ठी खुशियां व फख्र की अनुभूतियां लेकर आया है। साल के शुरूआती महीनों में ‘अलीगढ़’, पिछले दिनों ‘ट्रैफिक’ और अब ‘बुधिया : बॉर्न टु रन’ उनकी दमदार अदायगी व मौजूदगी से निखरी। वे अलग ऊंचाई हासिल कर गईं। हैरत यह है कि 22 साल से अदाकारी करने के बावजूद उनमें बेहतर परफॉरमेंस की भूख नहीं मिटी है। उन्होंने खुद को यंत्रवत सा बनने नहीं दिया है। - अदाकारी में महारथ होने के बावजूद उसके प्रति आज भी अपनी भूख कैसे बनाए रखते हैं। 0 उस भूख को जगाने की जरूरत नहीं पड़ती। ‘देवदास’ में दिलीप साहब ने कहा था न ‘यह कभी न बुझने वाली प्यास’ है। यह इतनी जल्दी जाने वाला नहीं है। अभी मेरे भीतर जितना है, उसका तो दस फीसदी भी बाहर नहीं आया है। मुझे अपना हर पिछला काम कचोटता रहता है। उसमें कमी महसूस होती रहती है। वह चीज मुझे खाली करता रहता है। हमेशा लगता है कि मैं बहुत कुछ दे सकता हूं, मगर वैसे रोल नहीं आ रहे। इसलिए जैसे ही एक असरदार किरदार मिलता है तो खुद को उस की तैयारियों पर न्यौछावर कर देता हूं। -इसे हम महज इ्त्तेफाक ही कहें कि इन दिनों ज्यादतर वैसी फिल्