Posts

Showing posts with the label साजिद खान

फिल्‍म समीक्षा : हमशकल्‍स

Image
-अजय ब्रह्मात्‍मज साजिद खान की 'हमशकल्स' वास्तव में हिंदी फिल्मों के गिरते स्तर में बड़बोले 'कमअकल्स' के फूहड़ योगदान का ताजा नमूना है। इस फिल्म में पागलखाने के नियम तोडऩे की एक सजा के तौर पर साजिद खान की 'हिम्मतवाला' दिखायी गयी है। भविष्य में कहीं सचमुच 'हमशकल्स' दिखाने की तजवीज न कर दी जाए। साजिद खान जैसे घनघोर आत्मविश्वासी इसे फिर से अपनी भूल मान कर दर्शकों से माफी मांग सकते हैं, लेकिन उनकी यह चूक आम दर्शक के विवेक को आहत करती है। बचपना और बचकाना में फर्क है। फिल्मों की कॉमेडी में बचपना हो तो आनंद आता है। बचकाने ढंग से बनी फिल्म देखने पर आनंद जाता है। आनंद जाने से पीड़ा होती है। 'हमशकल्स' पीड़ादायक फिल्म है। साजिद खान ने प्रमुख किरदारों को तीन-तीन भूमिकाओं में रखा है। तीनों हमशकल्स ही नहीं, हमनाम्स भी हैं यानी उनके एक ही नाम हैं। इतना ही नहीं उनकी कॉमेडी भी हमशक्ली है। ये किरदार मौके-कुमौके हमआगोश होने से नहीं हिचकते। डायलॉगबाजी में वे हमआहंग (एक सी आवाजवाले) हैं। उनकी सनकी कामेडी के हमऔसाफ (एकगुण) से खिन्नता और झुंझलाहट बढ़त

हंसी की पुडिय़ा बांधता हूं मैं-साजिद खान

Image
-अजय ब्रह्मात्मज     ‘हिम्मतवाला’  की असफलता के बाद साजिद खान ने चुप्पी साध ली थी। अभी ‘हमशकल्स’ आ रही है। उन्होंने इस फिल्म के प्रचार के समय यह चुप्पी तोड़ी है। ‘हिम्मतवाला’ के समय किए गए दावों के पूरे न होने की शर्म तो उन्हें है, लेकिन वे यह कहने से भी नहीं हिचकते कि पिछली बार कुछ ज्यादा बोल गया था। - ‘हिम्मतवाला’ के समय के सारे दावे गलत निकले। पिछले दिनों आपने कहा कि उस समय मैं झूठ बोल गया था। 0 झूठ से ज्यादा वह मेरा बड़बोलापन था। कह सकते हैं कि वे बयान नासमझी में दिए गए थे। दरअसल मैं कुछ प्रुव करना चाह रहा था। तब ऐसा लग रहा था कि मेरी फिल्म अवश्य कमाल करेगी। अब लगता है कि ‘हिम्मतवाला’ का न चलना मेरे लिए अच्छा ही रहा। अगर फिल्म चल गई होती तो मैं संभाले नहीं संभलता। इस फिल्म से सबक मिला। यह सबक ही मेरी सफलता है। मैंने महसूस किया कि मैं हंसना-हंसाना भूल गया था। अच्छा ही हुआ कि असफलता का थप्पड़ पड़ा। अब मैं संभल गया हूं। - ऐसा क्यों हुआ था? 0 मैं लोगों का ध्यान खींचना चाहता था। एक नया काम कर रहा था। मेरी इच्छा थी कि लोगों की उम्मीदें बढ़ें। वैसे भी दर्शकों की अपेक्षाए

फिल्‍म समीक्षा : हिम्‍मतवाला

Image
बेमेल मसालों का मनोरंजन -अजय ब्रह्मात्‍मज  1983 में आई के राघवेन्द्र राव की हिम्मतवाला की रीमेक साजिद खान की हिम्मतवाला 1983 के ही परिवेश और समय में है। कपिलदेव के नेतृत्व में व‌र्ल्ड कप जीतने की कमेंट्री के अलावा फिल्म का एक किरदार बाल कर बताता है कि यह 1983 है। इस प्रकार पिछले बीस सालों में हिंदी सिनेमा के कथ्य और तकनीक में जो भी विकास और प्रगति है, उन्हें साजिद खान ने सिरे से नकार और नजरअंदाज कर दिया है। मजेदार तथ्य है कि साजिद खान की सोच और समझ में यकीन करने वाले निर्माता, कलाकार, तकनीशियन और दर्शक भी हैं। निश्चित ही हमारा देश भारत कई स्तरों पर एक साथ चल रहा है। मनोरंजन का एक स्तर साजिद खान का है। साजिद खान थैंक्स गॉड इटस फ्रायडे जैसा गीत सुनवाने और मॉडर्न फाइट दिखाने के बाद 1983 के गांव रामनगर ले जाते हैं। इस गांव में शेर सिंह, नारायण दास, गोपी, सावित्री आदि जैसे दुनिया से कटे किरदार रहते हैं। बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे ग्राम सभा होती है। यहां पुलिस भी 2000 किलोमीटर दूर से आती है। रामनगर की ग्राम पंचायत में एक ही सरपंच है। उसने सभी ग्रामीणों की जमीन-जायदाद

हिम्‍मतवाला के पोस्‍टर

Image
यह फिल्‍म अभी सोची भर गई है। साजिद खान की हिम्‍मत देखिए कि पांस्‍टर भी लेकर आ गए। इसे कहते हैं पब्लिसिटी का धमाल...यह फिल्‍म करेगी कमाल। हो सकता है सभी हो जाएं मालामाल। फिल्‍म के हीरो हैं अजय देवगन और हीरोइन हैं तमन्‍ना। वासु भगनानी भी सहनिर्माता हैं।

फिल्‍म समीक्षा : हाउसफुल 2

Image
-अजय ब्रह्मात्‍मज कामेडी में आयटम का पैबंद सलीम की गली छोड़-छाड़ कर अनारकली डिस्को जाते हुए जब कम कपड़ों में अपने अंगों को झटके देती है तो पर्दे पर जग्गा डाकू और पुलिस अधिकारी बटुक पटेल भी नाचने को मजबूर हो जाते हैं। अगले दिन अनारकली उनकी बीवियों सरला और हेतल के नाम से उन्हें रिझाती है और उनके बीच फूट डालती है। पूरा गीत और प्रसंग फिल्म में पैबंद की तरह जोड़ा गया है। कैमरे की नजर से यह दर्शकों को थोड़ी देर की उत्तेजना देता है, लेकिन फिल्म के मूल प्रवाह को रोकता भी है। साजिद खान की फिल्मों में कहीं न कहीं बुजुर्गो की दमित सेक्स फैंटेसी भी जाहिर होती रहती है। दर्शकों को बहलाने का यह फूहड़ तरीका है। साजिद खान की फिल्में देखते समय तर्क और विवेक दोनों के परे जाना होता है। उनकी सभी फिल्मों में लतीफों का सिलसिला रहता है। उन लतीफों को केंद्र में रख कर दृश्य लिखे जाते हैं। एक माहौल सा बन जाता है। हमें किरदारों की बेवकूफ हरकतों पर हंसी आने लगती है। हाउसफुल-2 में साजिद खान ने 12 मुख्य कलाकार रखे हैं। दृश्यों को जोड़ने और बढ़ाने का काम सनी (अक्षय कुमार) करता है, इसलिए उसे हीरो मान सक