सीरियल में सिनेमा की घुसपैठ
-अजय ब्रह्मात्मज इसकी आकस्मिक शुरुआत सालों पहले भाई-बहन के प्रेम से हुई थी। तब एकता कपूर की तूती बोलती थी। उनका सीरियल क्योंकि सास भी कभी बहू थी और कहानी घर घर की इतिहास रच रहे थे। एकता कपूर की इच्छा हुई कि वह अपने भाई तुषार कपूर की फिल्मों का प्रचार अपने सीरियल में करें। स्टार टीवी के अधिकारी उन्हें नहीं रोक सके। लेखक तो उनके इशारे पर सीन दर सीन लिखने को तैयार थे। इस तरह शुरू हुआ सीरियल में सिनेमा का आना। बड़े पर्दे के कलाकार को जरूरत महसूस हुई कि छोटे पर्दो के कलाकारों के बीच उपस्थित होकर वह घरेलू दर्शकों के भी प्रिय बन जाएं। यह अलग बात है कि इस कोशिश के बावजूद तुषार कपूर पॉपुलर स्टार नहीं बन सके। यह भी आंकड़ा नहीं मिलता कि इस प्रयोग से उनकी फिल्मों के दर्शक बढ़े या नहीं, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री को प्रचार का एक और जरिया मिल गया। प्रोफेशनल और सुनियोजित तरीके से संभवत: पहली बार जस्सी जैसी कोई नहीं में हम तुम के स्टार सैफ अली खान को कहानी का हिस्सा बनाया गया। यशराज फिल्म्स की तत्कालीन पीआर एजेंसी स्पाइस के प्रमुख प्रभात चौधरी याद करते हैं, ''वह अलग किस्म की फिल्म थी। इसके प्रचार