फिल्म समीक्षा : यमला पगला दीवाना 2
आदरणीय धरम जी, अभी-अभी 'यमला पगला दीवाना 2' देख कर लौटा हूं। मैं मर्माहत और दुखी हूं। इस फिल्म की समीक्षा लिखना बड़ी चुनौती है। फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसके बारे में कुछ सकारात्मक लिखा जा सके। 'यमला पगला दीवाना 2' इस दशक की एक कमजोर फिल्म है। अफसोस की बात है कि यह देओल परिवार से आई है। इस फिल्म में आप की बहू लिंडा और पोते करण का भी सृजनात्मक योगदान है। इस पारिवारिक उद्यम से अपेक्षाएं बढ़ गई थीं। मुझे उम्मीद थी कि कम से कम 'यमला पगला दीवाना' जैसी दीवानगी और मस्ती तो दिखेगी। इस फिल्म ने निराश किया। इस फिल्म से बेहतरीन कोशिश भी समीर कर्णिक की। दशकों से मेरी तरह करोड़ों दर्शक आप की फिल्में देखते हुए बड़े हुए हैं। याद करने बैठें तो आप की अनगिनत फिल्मों की मनोरंजक खुमारी आज भी तारी है। निश्चित ही हिंदी फिल्मों में आप के योगदान को ढंग से रेखांकित नहीं किया गया है। अभी तक आपका देय आप को नहीं मिला है, लेकिन 'यमला पगला दीवाना 2' जैसी फिल्में आप के मेरे जैसे दर्शकों और प्रशंसकों को आहत करती हैं। चुभती है 'यमला पगला दीवाना 2' जैसी मु