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अनमाेल है हर आइडिया - कौस्‍तुभ नारायण नियोगी

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-अजय ब्रह्मात्‍मज पूजा भट्ट की फिल्‍म ‘ कैबरे ’ के निर्देशक हैं कौस्‍तुभ नारायण नियोगी। ‘ कैबरे ’ उनकी पहली फिल्‍म है। इसे उन्‍होंने लिखा और निर्देशित किया है। ‘ पानी पानी ’ समेत इस फिल्‍म के तीन गीतों के गीतकार और संगीतकार भी हैं कौस्‍तुभ। जिंदगी के पचास वसंत पार कर चुके कौस्‍तुभ विज्ञापन की दुनिया से वास्‍ता रखते हैं। कम समय में ही विज्ञापन की दुनिया में बड़ी उपलब्धियां हासिल कर चुके कौस्‍तुभ उद्यमी बनने की कोशिश में धन और ध्‍यान गंवा चुकने के बाद कुछ नया करने की ललक में फिलमों से जुड़े। पूजा भट्ट ने उन्‍हें प्रेरित किया। उन्‍होंने ही कौस्‍तुभ को गहन नैराश्‍य से निकलने में मदद की। उनमें विश्‍वास जताया कि वे कुछ कर सकते हें।   खुद को अभिव्‍यक्‍त कर सकते हैं,क्‍योंकि वे नैचुरल किस्‍सागो हैं। जिंदगी के अनुभव और बेतरतीबी ने उन्‍हें समृद्ध किया है। हमारी मुलाकात पूजा भट्ट के ऑफिस में होती है। पूछने पर बेफिक्र और बेलौस अंदाज में वे खुद के बारे में बताते हैं, ’ कोलकाता और जमशेदपुर से पढ़ाई पूरी करने के बाद विज्ञापन की दुनिया में मुंबई आ गया। जल्‍दी तरक्कियां हुईं और में महज 30

वह भी दिलचस्‍प इत्‍तेफाक था - गुलशन देवैया

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-अजय ब्रह्मात्‍मज तीन साल पहले की बात है। पूजा भट्ट लोखंडवाला के एक रेस्‍तरां में मेरे एक परिचित के साथ बैठी थीं। उन्‍होंने ‘ द हेट स्‍टोरी ’ और ‘ शैतान ’ के जिक्र के साथ कहा कि इस एक्‍टर के साथ काम करना है। मेरे परिचित ने मुझे फोन कर तत्‍काल बुला लिया। मैं भी पहुंच गया। पूजा की गर्मजोशी अपरिचय तोड़ देती है। उन्‍होंन तारीफ की। मैंने उन्‍हें याद दिलाया कि 2001 में नए साल की पार्टी में मुझ पर उनकी निगाह गई थी। हुआ यों था कि रात भर की पार्टी के बाद मैं एक पेड़ के नीचे बैठा चिल कर रहा था। तभी पूजा भट्ट आती दिखीं। सुबह सात-साढ़े सात का समय रहा होगा। उन्‍होंने मेरी तरफ नजर डाली और आगे बढ़ गईं। मैंने उन्‍हें पूरी घटना बताई तो वह मुस्‍कराई। मुझे लगता है कि कोई एनर्जी हम दोनों को पास खींच रही थी। लोखंडवाला के रेस्‍तरां में हुई मुलाकात में उन्‍होंने यही कहा कि मैं तुम्‍हारें साथ काम करना चाहती हूं। अभी ‘ जिस्‍म 3 ’ के बारे में सोच रही हूं। फिर ‘ कैबरे ’ और ‘ लव अफेयर्स ’ के बारे में बातें हुईं। मैंने दोनों फिल्‍में साइन कीं। ‘ कैबरे ’ का निर्देशन कौस्‍तुभ को करना था और ‘ लव

नायिकाओं में झलकता है मेरा अक्‍स - पूजा भट्ट

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-अजय ब्रह्मात्‍मज पूजा भट्ट की फिल्‍मों का मिजाज अलग होता है। वह अपनी पेशगी से चौंकाती हैं। हालांकि उनकी फिल्‍मों के केंद्र में औरतें होती हैं...बोल्‍ड,बिंदास और आक्रामक,लेकिन साथ में पुरुष भी रहता है। उनके संबंधों में यौनाकर्षण रहता है,जो बाद में भावनाओं के ज्‍वार-भाटे में डूबता-उतराता है। पूजा की फिल्‍में खूबसूरत होती हैं। सीतमत बजट में वह फिल्‍मों की सेटिंग करती हैं। बैकड्राप में दिख रही चीजें भी सोच-समझ के साथ एस्‍थेटिक्‍स के साथ रखी जाती हैं। उनकी फिल्‍मों की हीरोइनें चर्चित होती हैं। बिपाशा बसं और सनी लियोनी उदाहरण हैं। इस बार ‘ कैबरे ’ में उन्‍होंने रिचा चड्ढा को पेश किया है। कैबरे की कहानी अपनी नई फिल्‍म ‘ कैबरे ’ के बारे में वह शेयर करती हैं, ’ यह दिखने मेकं केवल रिचा चड्ढा की फिल्‍म लग रही होगी,क्‍योंकि अभी तक गाने और बाकी तस्‍वीरों में रिचा की ही तस्‍वीरें घूम रही हैं। वह पसंद भी की जा रही है। यह रिचा यानी रजिया के साथ एक पत्रकार की भी कहानी है। वह शराब के नशे में धुत रहता है। खुद पर से उसका यकीन उठ गया है। आज का सिस्‍टम कई ईमानदार लोगों को तोड़ देता है।

फिल्‍म समीक्षा : जिस्‍म 2

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  प्रेम में डूबा देहगीत  -अजय ब्रह्मात्‍मज भट्ट कैंप की फिल्मों की एक खासियत सेक्स है। हालंाकि पूजा भट्ट का सीधा ताल्लुक महेश भट्ट से है,लेकिन वह विशेष फिल्म्स के बैनर तले फिल्में नहीं बनातीं। उनकी फिल्मों एक अलग किस्म का सौंदर्य रहता है,जिसे वह स्वयं रचती हैं। जिस्म 2 का सौंदर्य मनमोहक है। सेट,लोकेशन, कलाकारों के परिधान, दृश्य संरचना, चरित्रों के संबंध में सौंदर्य की छटाएं दिखती हैं। जिस्म 2 खूबसूरत फिल्म है। देह दर्शन के बावजूद यह अश्लील नहीं है। देह का संगीत पूरी फिल्म में सुनाई पड़ता है। वयस्क दर्शकों को उत्तेजित करना फिल्म का मकसद नहीं है। इस फिल्म के अंतरंग दृश्यों में सान्निध्य है। हिंदी फिल्मों के अंतरंग दृश्य मुख्य रूप से अभिनेत्रियों की झिझक और असहजता के कारण सुंदर नहीं बन पाते। सनी लियोन देह के प्रति सहज हैं। फिल्म का पहला संवाद है आई एम अ पोर्न स्टार..यह संवाद सनी लियोन की इमेज,दर्शकों की उत्कंठा और फिल्म को लेकर बनी जिज्ञासा को समाप्त कर देती है। पहले ही लंबे दृश्य में निर्देशक अपनी मंशा स्पष्ट कर देती है। शुद्धतावादियों को पूजा भट्ट की स्पष्टता और