हिन्दी टाकीज:जूते पहन कर जा सकते थे उस मन्दिर में-मुन्ना पांडे (कुणाल)
हिन्दी टाकीज-१७ इस बार मुन्ना पाण्डेय(कुणाल).कुणाल के ब्लॉग मुसाफिर से इसे लिया गया है.वहां मुन्ना पाण्डेय ने बहुत खूबसूरती के साथ श्याम चित्र मन्दिर की झांकी पेश की है। यह झांकी किसी भी छोटे शहर की हो सकती है.मुन्ना पाण्डेय का परिचय उनके ही शब्दों में लिखें तो,'तब जिंदगी मजाक बन गयी थी,दिल्ली आया था घर छोड़कर कि कुछ काम-धंधा करुं और मजाक बनी जिंदगी को कुछ मतलब दूं। लेकिन यहां आकर मजाक-मजाक में पढ़ने लग गया। रामजस कॉलेज से बीए करने के बाद एमए करने का मूड हो आया. तब तक किताबों का चस्का लग गया था और इसी ने मुझे एमए में गोल्ड मेडल तक दिला दिया। एम.फिल् करने लग गया। अब हंसिए मत, सच है कि मजाक-मजाक में ही जेआरएफ भी हो गया औऱ अब॥अब क्या। हबीब तनवीर के नाटक पर डीयू से रिसर्च कर रहा हूं। जिस मजाक ने मुझे नक्कारा करार देने की कोशिश की आज भी उसी मजाक के लिए भटकता-फिरता हूं। पेशे से रिसर्चर होते हुए भी मिजाज से घुमक्कड़ हूं। फिल्में खूब देखता हूं,बतगुज्जन पर भरोसा है और पार्थसारथी पर बार-बार रात बिताने भागता रहता हूं। अब तो जिंदगी और मजाक दोनों से प्यार-सा हो गया है।' gopalganj अग्निपथ स