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Showing posts from September, 2015

दरअसल : बाजीराव मस्‍तानी का आईना महल

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-अजय ब्रह्मात्‍मज     संजय लीला भंसाली अपनी पीढ़ी के अकेले फिल्‍मकार है,जो संवेदना और सौंदर्य के साथ फिल्‍में बनाते हैं। उनकी फिल्‍मों में भव्‍यता के साथ सौंदर्य भी रहता है। यह सौंदर्य सेट,लोकेशन,कलाकार,किरदार,गीत-संगीत सभी में अलग-अलग स्‍तर और रूपों में दिखता है। उनकी फिल्‍में हिंदी फिल्‍मों की परंपरा का निर्वहन करती हैं। साथ ही वे दृश्‍यों और चरित्रों के निरूपण में अपनी खास सौंदर्य दृष्टि का उपयोग करते हैं। संजय की फिल्‍मों में नायिकाओं का सौंदर्य निखर जाता है। उनके साथ काम कर चुकी सभी अभिनेत्रियों ने यह स्‍वीकार किया है कि संजय के फिल्‍मों में वे सर्वाधिक सम्‍मोहक दिखती हैं। मनीषा कोईराला से लेकर दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा तक इसे दोहराती हैं। संजय लीला भंसाली की ‘ बाजीराव मस्‍तानी ’ में दोनों अभिनेत्रियां बाजीराव बने रणवीर सिंह के साथ दिखेंगी। दीपिका मस्‍तानी और प्रियंका काशी बाई की भूमिका निभा रही हैं।     संजय लीला भंसाली सेट पर हों या लोकेशन पर...दोनों ही स्थितियों में वे परिवेश की सुदरता को उसकी गहराई के साथ अपनी फिल्‍मों में ले आते हैं। उनकी हर फिल्‍म में इस ग

फिल्‍म समीक्षा : किस किस को प्‍यार करूं

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करवा चौथ का गोल चांद -अजय ब्रह्मात्मज     हिंदी फिल्मों में करवा चौथ का चांद हमेशा गोल दिखाया जाता है। आदित्य चोपड़ा की फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगेÓ के आर्ट डायरेक्टर से हुई भूल पर न तो निर्देशक का ध्यान गया और न ही दर्शकों ने सुधि ली। लिहाजा, बाद में आई हर फिल्म में करवा चौथ का चांद गोल ही दिखता है, जबकि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन चांद की गोलाई चार दिन घट चुकी होती है। 'किस किस को प्यार करूंÓ जैसी फिल्में 'करवा चौथ का गोल चांदÓ ही होती हैं। इनका वास्तविकता से खास रिश्ता नहीं होता।     अब इसी फिल्म को लें। कुमार शिव राम किशन दिल का नेक लड़का है, वह अपनी मां की दी सीख 'कभी किसी लड़की का दिल न तोडऩा और कभी किसी का घर नहीं तोडऩाÓ पर अमल करते हुए तीन शादियां कर चुका है। तीनों शादियां गफलत और नैतिकता के दबाव में हुई हैं। अपने दोस्त और वकील करण की मदद से वह एक ही बिल्डिंग की चौथी, छठी और आठवीं मंजिलों पर तीनों बीवियों का परिवार चला रहा है। अब यह न पूछें कि कैसी एक ही बिल्डिंग में रहते हुए उनकी बीवियों को लंबे समय तक पता ही नहीं चलता कि उनका पति एक ही व

फिल्‍म समीक्षा : कैलेंडर गर्ल्‍स

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  -अजय ब्रह्मात्‍मज मधुर भंडारकर की 'पेज 3’, 'फैशन’ और 'हीरोइन’ की कहानियां एक डब्बे में डाल कर जोर से हिलाएं और उसे कागज पर पलट दें तो दृश्यों और चरित्र के हेर-फेर से 'कैलेंडर गर्ल्स’ की कहानी निकल आएगी। मधुर भंडारकर की फिल्मों में ग्लैमर की चकाचौंध के पीछे के अंधेरे के मुरीद रहे दर्शकों को नए की उम्मीद में निराशा होगी। हां, अगर मधुर की शैली दिलचस्प लगती है और फिर से वैसे ही प्रसंगों को देखने में रूचि है तो 'कैलेंडर गर्ल्स’ भी रोचक होगी। कैलेंडर गर्ल्स मधुर भंडारकर ने हैदराबाद, कोलकाता, रोहतक, पाकिस्तान और गोवा की पांच लड़कियां नंदिता मेनन, परोमा घोष, मयूरी चौहान, नाजनीन मलिक और शैरॉन पिंटो को चुना है। वे उनके कैलेंडर गर्ल्स’ बनने की कहानी बताते हैं। साथ ही ग्लैमर वर्ल्ड में आ जाने के बाद की जिंदगी की दास्तान भी सुनाते हैं। उनकी इस दास्तान को फिल्म के गीत 'ख्वाहिशों में...’ गीतकार कुमार ने भावपूर्ण तरीके से व्यक्त किया है। यह गीत ही फिल्म का सार है- 'कहां ले आई ख्वाहिशें, दर्द की जो ये बारिशें, है गलती दिल की या फिर

लेवल ऊंचा ही रखा - प्रियंका चोपड़ा

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-अजय ब्रह्मात्‍मज       प्रियंका चोपड़ा इस मायने में खास हो गई हैं कि वह हिंदी फिल्‍मों की अगली कतार में होने के साथ ही विदेश की धरती पर भी अपनी पहचान बना रही है। अमेरिका के शहरों में होर्डिंग और बिलबोड्र पर वह दिख रही हैं। हिंदी सिनेमा के परिचित चेहरे को अमेरिका में देख कर आप्रवासी भारतीय गर्व महसूस कर रहे हैं। प्रियंका चोपड़ा का टीवी शो ‘ क्‍वैंटिको ’ इसी महीने 27 सितंबर से प्रसारित होगा। भारत में यह 3 अक्‍टूबर से देखा जा सकेगा। पिछले दिनों ‘ बाजीराव मस्‍तानी ’ के शूट के लिए आई प्रियंका चोपड़ा ने दैनिक जागरण के पाठकों के लिए अपने अनुभव शेयर किए।       मैं अभी मांट्रियाल में शूटिंग कर रही हूं। हम पूरा सीजन वहां कर रहे हैं। अब तक एपीसोड 4 पर ही पहुंचे हें। वापस जाकर 5वें की शूटिंग आरंभ करूंगी। यूं समझें कि ‘ बाजीराव मस्‍तानी ’ और ‘ क्‍वैंटिको ’ के बीच भागदौड़ चल रही है।        मेरे लिए बड़ा अचीवमेंट है कि मैं हिंदी फिल्‍मों और इंटरनेशनल असाइनमेंट के बीच बैलेंस बना कर चल रही हूं। दूसरी बात है कि मैं जिस तरह का काम विदेश में करना चाह रही थी,वैसा कर पा रही हूं।