फिल्‍म समीक्षा : ब्रेक के बाद

थीम और परफार्मेस में दोहराव

ब्रेक के बाद: थीम और परफार्मेस  में दोहराव-अजय ब्रह्मात्‍मज

आलिया और अभय बचपन के दोस्त हैं। साथ-साथ हिंदी सिनेमा देखते हुए बड़े हुए हैं। मिस्टर इंडिया (1987) और कुछ कुछ होता है (1998) उनकी प्रिय फिल्में हैं। यह हिंदी फिल्मों में ही हो सकता है कि ग्यारह साल के अंतराल में आई फिल्में एक साथ बचपन में देखी जाएं और वह भी थिएटर में। यह निर्देशक दानिश असलम की कल्पना है, जिस पर निर्माता कुणाल कोहली ने मोहर लगाई है।

इस साल हम दो फिल्में लगभग इसी विषय पर देख चुके हैं। दोनों ही फिल्में बुरी थीं, फिर भी एक चली और दूसरी फ्लॉप रही। पिछले साल इसी विषय पर हम लोगों ने लव आज कल भी देखी थी। इन सभी फिल्मों की हीरोइनें प्रेम और शादी को अपने भविष्य की अड़चन मान बे्रक लेने या अलग होने को फैसला लेती हैं। उनकी निजी पहचान की यह कोशिश अच्छी लगती है, लेकिन वे हमेशा दुविधा में रहती हैं। प्रेमी और परिवार का ऐसा दबाव बना रहता है कि उन्हें अपना फैसला गलत लगने लगता है। आखिरकार वे अपने प्रेमी के पास लौट आती हैं। उन्हें प्रेम जरूरी लगने लगता है और शादी भी करनी पड़ती है। फिर सारे सपने काफुर हो जाते हैं। ब्रेक के बाद इसी थीम पर चलती है।

कहानी में नयापन नहीं है। चूंकि दीपिका पादुकोण और इमरान खान को इसी विषय की फिल्मों में हम देख चुके हैं, इसलिए उनके परफार्मेस में दोहराव दिखता है। वैसे भी इमरान खान बतौर एक्टर अपनी पहली फिल्म से आगे नहीं निकल पा रहे हैं। उन्हें अपनी लैंग्वेज के साथ बॉडी लैंग्वेज पर भी काम करना चाहिए। दीपिका पादुकोण में आकर्षण है और वह मेहनत भी करती हैं, लेकिन हिंदी संवादों के उच्चारण में वह पिछड़ जाती हैं। साफ लगता है कि वह शब्दों का अर्थ समझे बगैर उन्हें बोल रही है। उन्हें मालूम ही नहीं कि वाक्य में कहां किस शब्द पर जोर डालना है या ठहरना है। नतीजतन उनकी मेहनत अंतिम प्रभाव में असफल रहती है।

इस फिल्म में पारंपरिक बुआ का अलग किस्म का चित्रण है। वह अपने हीरो भतीजे से उसकी प्रेमिकाओं के बारे में हंसी-मजाक कर लेती हैं और तीन शादियां करने के बाद तीन तलाक भी ले चुकी हैं। आखिर दानिश ऐसी बुआ के मार्फत क्या बताना या कहना चाहते हैं? फिल्म की कहानी किसी क्रम में आगे नहीं बढ़ती। लेखक-निर्देशक की मर्जी से पात्र भारत और विदेश आते-जाते रहते हैं। फिल्म में मॉरीशस को आस्ट्रेलिया दिखाने की कोशिश भी बचकानी है।

* एक स्टार


Comments

aapka matlab hai ki ise ek horror film maan kar dekha jaaye... :)
sonali said…
I dont agree with u Ajay ji.....
Aajkal ki love life me kitne complications hote hai, bahut hi khubsurti se ukera gaya hai is film me....

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