एक थे मोईन अख्‍तर

अंदाज मोईन अख्तर का-अजय ब्रह्मात्‍मज

मोईन अख्तर से मेरा पहला परिचय चीन में हुआ था। पाकिस्तानी दोस्त रहमान साहब और उनके परिवार के यहां आना-जाना था। हमारे बीच कई समानताएं थीं। हम लगभग एक ही जबान बोलते थे। खाना-पीना भी एक सा था। वे हिंदी फिल्में देखने के शौकीन तो हम पाकिस्तानी टीवी ड्रामे के। उनके यहां ही वीडियो कैसेट पर पहली बार बकरा किस्तों पे और बुड्ढा घर पे है के कुछ एपीसोड देखे थे। इन ड्रामों का तंजिया अंदाज बहुत भाता था। ड्रामा थोड़ा लाउड और वोकल लगता था, लेकिन उसका अपना मजा था। इन ड्रामों के जरिए ही मोईन अख्तर और उमर शरीफ से परिचय हुआ था। यह 1990 से पहले की बात है।

पाकिस्तान में फिल्मों का विकास भले ही अवरुद्ध हो गया था, लेकिन वहां के टीवी पर ड्रामे की शक्ल में कुछ नया मनोरंजन दर्शकों का दिल बहला रहा था। हालांकि पाकिस्तान में ज्यादातर समय सैन्य शासन ही रहा, फिर भी इन ड्रामों में पाकिस्तान की पॉलिटिक्स और पॉलिटिशियन को हमेशा निशाना बनाया गया। मुसलमान, इस्लाम और पाकिस्तान को लेकर संवादों में किए गए फिकरे और ताने वहां के माहौल का बयां करने के साथ ही बताते थे कि पूरी कौम खुद पर हंसना जानती है। 1947 से पहले एक ही मुल्क रहे भारत और पाकिस्तान में टीवी और फिल्म का दायरा अलग-अलग तरीके से फैला। हम फिल्मों में आगे निकल गए और पाकिस्तान टीवी ड्रामे और कॉमेडी शो में काफी समय तक आगे रहा। रूटैंड अप कॉमेडी और कॉमेडी शो में पाकिस्तान का स्तर और फैलाव ऊंचा रहा। मोईन अख्तर, उमर शरीफ, अनवर मकसूद आदि ने कॉमेडी का मानदंड स्थापित किया। इन में मोईन अख्तर का खास वजूद रहा। उनकी शख्सियत, अदाकारी और लिखाई ने ही पाकिस्तान में कॉमेडी की जमीन तैयार की। सन् 1966 में एक डिफेंस शो में नामी-गिरामी फनकारों के साथ मोईन ने पहला स्टेज परफॉर्मेस दिया था। उसी समय उन्हें लोगों ने पसंद किया। वे इतने मशहूर और मशरूफ हुए कि ताजिंदगी पाकिस्तानी कौम के साथ दुनिया भर का मनोरंजन करते रहे।

शुरू -शुरू में उनके कहकहे कैसेट के जरिए भारत आए। बाद में वीडियो कैसेट का दौर आया। एक-दो दफा उन्हें भारत में परफॉर्म करने का भी मौका मिला। उनके मुरीदों में से एक दिलीप कुमार भी हैं। उन्होंने कभी कहा था कि मोईन की अदाकारी की नकल की जा सकती है। मोईन ने मुख्य रूप से स्टेज और टीवी शो के लिए ही काम किए। दोनों के फे्रम की सीमाओं में ही उन्होंने अपना हुनर दिखाया। उन्होंने प्रचुर काम किया और इसकी भी मिसाल रखी कि ज्यादा काम करते हुए भी उसे बेहतरीन तरीके से पेश किया जा सकता है। उनकी लिखाई अैर परफॉर्मेस में कभी कोताही नजर नहीं आई।

उनके परफॉर्मेस की खूबियों को समझने के लिए उनके शो रोजी और लूज टॉक को देख लेना काफी होगा। यूट्यूब पर इन शोज के वीडियो आसानी से मिल जाएंगे। रोजी में उन्होंने एक महिला का किरदार निभाया था। लूज टॉक में वे अनवर मकसूद के साथ आते थे। बीबीसी के चैनल-4 के शो लूज टॉक के पाकिस्तानी मजाकिया संस्करण में अनवर मकसूद इंटरव्यू करते थे। उसके हर एपीसोड में मोईन अख्तर नए रंग-रूप में नजर आते थे। वे विभिन्न किरदारों में सामने की कुर्सी पर बैठ कर अनवर मकसूद के सवालों के जवाब दिया करते थे।

उनकी प्रतिभा के विस्तार और गहराई को समझने के लिए लूज टॉक देखना जरूरी है। स्टूडियो के कमरे में कुर्सी पर बैठे-बैठे वे भारत-पाकिस्तान-बांग्लादेश समेत दूसरे देशों के नामी-बेनामी किरदारों को जीते थे। कभी किसी एपीसोड में किसी अन्य एपीसोड की छाया तक नजर नहीं आई। मोईन अख्तर का तंजिया अंदाज लूज टॉक के हर एपीसोड में मिलता है। वे किरदार की भीतरी सतहों को उजागर कर देते थे।

हम लोग भारत में अमेरिका, इंग्लैंड और पश्चिमी देशों के फनकारों पर लिखते-पढ़ते रहते हैं। हमने कभी पड़ोसी देशों के फनकारों के बारे में जानने-समझने की तरतीब कोशिश ही नहीं की। अगर कोई भारतीय टीवी चैनल लूज टॉक प्रसारित करे, तो मैं यकीनन कह सकता हूं कि फिलहाल चल रहे किसी भी लॉफ्टर शो से उसे अधिक टीआरपी मिलेगी। इसके साथ ही हमें अपनी तहजीब की विसंगतियों को भी समझने का मौका मिलेगा।

Comments

Amit Gupta said…
I agree with you in totality sir . He was a brilliant actor and the heights which he have reached in acting would be nothing less than a dream for many established and well known actors.
Unknown said…
Behatarin tarike se logo ka dhyaan umdda kalakaron ki taraf aakarshit kiya hai....dhanywad is durlabh jankari k liye...
श्रीमान जी, क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
श्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी कल ही लगाये है. इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.

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